Sunday, November 24, 2024
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संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों ने किया बकरी अनुसंधान केंद्र का अवलोकन

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक विज्ञान के विद्यार्थियों ने केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम, आईसीआर फराह का शैक्षिक भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान प्रयोगशालाओं अवलोकन के साथ विषय संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं। विद्यार्थियों ने भ्रमण के दौरान बकरी अनुसंधान केंद्र में मौजूद बकरियों की विभिन्न किस्मों और उनकी विशेषताओं को भी जाना।


बकरियों पर अनुसंधान के लिए संस्कृति विवि जैव प्रौद्योगिकी विभाग और फोरेंसिंक विज्ञान के संकाय सदस्यों के नेतृत्व में विद्यार्थियों दल इस शैक्षिक भ्रमण में शामिल था। केंद्रीय संस्थान, मखदूम, पी.ओ. फराह, जिला मथुरा का दौरा किया। सीआईआरजी पहुंचने पर इस दल ने सबसे पहले पशुओं के फार्मों का अवलोकन किया। सीआईआरजी निदेशक डा.डी.के.शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एएच डिवीजन सीआईआरजी डा. अशोक कुमार प्रधान के निर्देशन में विद्यार्थियों ने छोटे समूहों में प्रयोगशालाओं का दौरा किया। छात्रों ने सूक्ष्म जीव विज्ञान, परजीवी विज्ञान, चिकित्सा, और पशु प्रजनन और आनुवंशिकी की प्रयोगशालाओं को देखा। विद्यार्थियों के लिए इन प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध और उनके तरीके ज्ञानवृद्धि के लिए काफी उपयोगी साबित हुए। विद्यार्थियों को लामिना वायु प्रवाह, एक रीयल-टाइम माइक्रोटोम, एक ऑटो-स्टेनर और एचपीएलसी जैसे अत्याधुनिक उपकरणों को प्रत्यक्षतः देखने और उऩके काम करने के तरीके को भी जानने का अवसर मिला। फार्म का दौरा कर बायोटेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस के छात्रों ने बकरी की विभिन्न किस्मों के बारे में भी जाना और खेत में उनका प्रबंधन भी देखा।


इस उपयोगी शैक्षिक भ्रमण के बाद संस्कृति विवि के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) दीपक कुमार वर्मा ने डॉ. डी.के. शर्मा (निदेशक, सीआईआरजी), डॉ. अशोक कुमार (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. चेतना गंगवार (वरिष्ठ वैज्ञानिक), डॉ के गुरुराज (वरिष्ठ वैज्ञानिक), डॉ एम के सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक) और सभी सीआईआरजी के वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों, जिन्होंने इस शैक्षिक भ्रमण में सहयोग दिया, के प्रति संस्कृति विवि के विद्यार्थियों की ओर से धन्यवाद दिया। भ्रमण में संस्कृति विवि के संकाय सदस्यों में डॉ गौरव भारद्वाज, कृष्ण राज, सुश्री हरिथा आरएस और कैलाश सिंह नेगो भी शामिल थे।

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