Sunday, November 24, 2024
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जीएल बजाज मथुरा में वी केयर, वी शेयर प्रदर्शनी का शुभारम्भ

  • प्रत्येक तीज-त्योहार समरसता का सूचक


मथुरा। शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। उसी से समाज की चेतना और मानसिकता का निर्माण होता है। यदि युवाओं को शैक्षणिक काल से ही सामाजिक सरोकारों से जोड़ दिया जाए तो वे ताउम्र समाज की भलाई के कामों में पीछे नहीं रहेंगे। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने के साथ ही उन्हें सामाजिक दायित्व का बोध भी कराता है। दीपावली का त्योहार करीब है, इसे देखते हुए संस्थान द्वारा वी केयर, वी शेयर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

मंगलवार को इस प्रदर्शनी का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने किया।
इस प्रदर्शनी में संस्थान के प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं और कर्मचारियों ने अपने घरों की उन वस्तुओं को जगह दी है जोकि उनके लिए बेशक अनुपयुक्त हों लेकिन दूसरे लोगों के लिए बड़े काम की हैं। प्रदर्शनी के पहले ही दिन संस्थान के आसपास के ग्रामीण अपनी जरूरत की वस्तुएं घर ले गए। इस प्रदर्शनी के संयोजक सतेन्द्र सिंह, बृजेश ग्रुप्ता तथा आशीष प्रताप सिंह ने बताया कि यह अभिनव कार्य संस्थान द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है। दीपावली के समय लगने वाली वी केयर, वी शेयर प्रदर्शनी को लेकर आसपास के लोगों में काफी उत्सुकता रहती है।


प्रदर्शनी के शुभारम्भ अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि प्रत्येक तीज-त्योहार समरसता का सूचक है। युवा पीढ़ी को ज्ञान और शिक्षा से समृद्ध करने के साथ ही उन्हें सामाजिक क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। प्रो. अवस्थी ने बताया कि यह प्रदर्शनी एक सप्ताह तक चलेगी तथा लोग अपनी जरूरत की वस्तुएं यहां से बिना कोई पैसा खर्च किए ले जा सकेंगे।


आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने जी.एल. बजाज मथुरा द्वारा लगाई गई वी केयर, वी शेयर प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि इससे छात्र-छात्राओं को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। प्रत्येक युवा समाज का कर्णधार है लिहाजा शिक्षकों का दायित्व है कि उसे शिक्षा देने के साथ ही समाज के तीज-त्योहारों की महत्ता से भी अवगत कराएं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा का मकसद सिर्फ डिग्री लेना ही नहीं बल्कि उन्नतशील एवं प्रगतिशील समाज के प्रति भी उनके दायित्व होने चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति समाज की रीढ़ होती है। युवा समाज के जीवन मूल्यों का प्रतीक होते हैं लिहाजा उनकी आंखों में सपने देखने की ज्योति और शक्ति देना हर शिक्षक का पहला कर्तव्य होना चाहिए।


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