Sunday, November 24, 2024
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चीन नहीं चाहता कोई विश्व युद्ध हो: डॉ. तनेजा

जन सांस्कृतिक मंच की ‘युद्ध की विभीषिका और वैश्विक संकट’ विषय पर परिचर्चा में

मथुरा। कभी सोवियत संघ, चीन का बड़ा भाई हुआ करता था पर आज बदली हुई वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में चीन बड़े भाई की भूमिका में नजर आता है। कोई भी देश आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहता है तो उसे युद्ध से बचना चाहिए इसलिए चीन युद्ध नहीं चाहता। ये विचार मंगलवार को एक स्थानीय होटल में जन सांस्कृतिक मंच द्वारा ‘युद्ध की विभीषिका और वैश्विक संकट’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में आस्ट्रेलिया की मेलबोर्न यूनिवर्सिटी में चायनीज मामलों के विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप तनेजा ने बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए।


डॉ. तनेजा ने अपने संबोधन में आगे कहा कि चीन ने बीते चालीस साल में अप्रत्याशित तरक्की की है, बावजूद इसके चीन अभी भी एक विकासशील देश हैं। वह नहीं चाहता कि दुनिया में विश्व युद्ध हो और दुनिया फिर दो खेमों में बंट जाए, इससे चीन को भारी नुकसान होगा। चीन का एक सपना है कि 2049 तक वह विकसित देश बन जाए। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब विश्व युद्ध तो नहीं होगा किन्तु छोटे-छोटे युद्ध होते रहेंगे, यदि रूस-यूक्रेन का युद्ध बढ़ता है तो चीन के आर्थिक लक्ष्यों को नुकसान होगा किन्तु बगैर चीनी सहायता के रूस युद्ध नहीं जीत सकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कोलकाता विश्वविद्यालय प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने पुतिन जैसे तानाशाह नेताओं की वर्चस्ववादी सोच को विघटनकारी और युद्ध का कारक बताया।


कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद प्रमुख लोगों में डॉ.अशोक बंसल, दीपक गोयल, मजदूर नेता शिवदत्त चतुर्वेदी, रवि प्रकाश भारद्वाज, श्यामसुंदर अग्रवाल, जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष टिकेंद्र शाद, राजकिशोर, सुनील आचार्य, अनिता अग्रवाल, विवेक दत्त मथुरिया, कैलाश वर्मा, मुनीश भार्गव, हेमन्त चौधरी आदि उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता डॉ. प्रदीप तनेजा का स्वागत मंच के सरंक्षक डॉ. आर के चतुर्वेदी ने किया। संचालन मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल ने औऱ आभार मंच के सचिव डॉ. धर्मराज ने व्यक्त किया।

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