जीएलए के छात्रों का “फिशस्पाई-ए फिशिंग डिटेक्शन टूल” रिसर्च अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में चयनित
मथुरा। लोगों को साइबर ठगों के मकड़जाल से बचाव के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक तकनीकी रिसर्च किया है। यह रिसर्च पेपर पुणे में आयोजित हुई अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में चयनित हुआ है। इसके बाद से ही छात्रों ने इस रिसर्च को और बेहतर रूप देने पर कार्य करना शुरू कर दिया है।
अधिकतर देखने और सुनने को मिलता है कि फर्जी बेवसाइट, एप्स, काॅलिंग के माध्यम से साइबर ठगों ने लोगों को ठग लिया। ऐसे ही कई तरीके से लोगों को ठगने की प्रक्रिया चल रही है। आजकल साइबर ठग ऐसी वेबसाइट तैयार करते हैं और उसका लिंक सोशल प्लेटफाॅर्म के जरिए लोगों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं, जिसमें लोगों को लगता है कि यह बहुत फायदेमंद है और उस पर अपना निजी डाटा शेयर कर देते हैं। साइबर ठग इसी को आधार बनाकर लोगों कोे फर्जी तरीके से वित्तीय नुकसान पहुंचाते हैं।

साइबर ठगों से बचाव और लोगों को वित्तीय नुकसान से बचाने हेतु जीएलए विश्वविद्यालय के बीटेक कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष छात्र विनायक चतुर्वेदी, रजनीश कुमार गुप्ता और प्रियांशु उपाध्याय ने एक तकनीकी रिसर्च पर जोर दिया। कड़ी मेहनत के बाद “फिशस्पाई-ए फिशिंग डिटेक्शन टूल एंड डिफेंसिव अप्प्रोचेस” नामक रिसर्च लिखा। हाल ही छात्रों का यह रिसर्च विश्वकर्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पुणे में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन इंडस्ट्री 4.0 टेक्नोलॉजी में चयन हुआ है। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के विषय-विशेषज्ञों ने भी जीएलए के छात्रों के रिसर्च उच्च श्रेणी का बताया।
विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष तिवारी ने बताया कि “फिशस्पाई-ए फिशिंग डिटेक्शन टूल एंड डिफेंसिव अप्प्रोचेस” टूल एक उच्च स्तरीय एवं नए तकनीकों से लैस है। अनुसंधान के अनुसार पता चला है कि साइबर अपराधी नई-नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। जिसको रोकने के लिए हमने 25 कम्प्यूटर अल्गोरिथम सहित 3 नए तरीकों को अपने टूल में सम्मलित किया है, जो कि अन्य टूलों में उपलब्ध नहीं है। यह टूल 95 प्रतिशत आधुनिक साइबर हमलों से बचाने की सुनिश्चितता प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि फिशिंग यानि गलत वेबसाइट्स का पता लगाने के लिए पहले से प्रस्तावित दृष्टिकोण अच्छे हैं और किसी भी उपयोगकर्ता को फिशिंग से बचने के लिए काफी हद तक उपयोगी भी हैं, लेकिन उनमें कई अल्गोरिथम और कई टूलों की कमी देखी गयी है। इन कमियों को ही दूर करने के लिए छात्रों ने इसमें कुछ और सुविधाएं जोड़ीं। इस टूल के माध्यम से किसी भी वेबसाइट के लिंक को आसानी से चेक किया जा सकता है कि उपयोग की जाने वाली वेबसाइट कितनी और कहां सही हैं।
डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा एवं विभागाध्यक्ष डाॅ. रोहित अग्रवाल ने बताया कि कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों द्वारा तैयार टूल में बीआईटीबी अटैक डिटेक्टर, फुल स्क्रीन एपीआई फिशिंग डिटेक्टर और फुल ब्लैंक एड्रेस बार डिटेक्टर जैसी सुविधाओं को जोड़ा है। यह शोध फिशिंग अटैक को भापता है एवं कंप्यूटर अल्गोरिथम की मदद से ऑनलाइन साइबर खतरों से बचाव करता हैं। इस शोध के आधार पर पाइथाॅन प्रोग्रामिंग की मदद से फिशिंग डिटेक्शन टूल तैयार किया है, जो कि फिशिंग साइबर अपराधों की रोक थाम के लिए बहुत कारगर है। जिसको कोई गैर तकनीकी व्यक्ति भी आसानी से उपयोग कर सकता है।