Saturday, November 23, 2024
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यूपी निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में आगामी निकाय चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई की, जहां उत्तर प्रदेश सरकार को राहत देते हुए 31 जनवरी से पहले चुनाव करवाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. मामले को लेकर सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब इस बात की संभावना नहीं होगी कि हाईकोर्ट के फैसले को अमल में लाते हुए निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश चुनाव तारीखों की अधिसूचना जारी कर दे। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई के दौरान ओबीसी आयोग की रिपोर्ट देने की समयसीमा दे सकता है। शीष अदालत आयोग से प्रक्रिया पूरी करने की निश्चित समयसीमा भी पूछ सकता है।

कोर्ट के फैसले पर सीएम योगी ने दी प्रतिक्रिया
कोर्ट के फैसले पर सीएम योगी का बयान भी सामने आया है, उन्होंने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी।

मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरक्षण पर अध्ययन के लिए राज्य सरकार की तरफ आयोग बनाया गया है। कोर्ट के पूछने पर बताया कि तीन महीने में आयोग अपना कार्यकाल पूरा कर लेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया, कहा कि ऐसी सूरत में तो जिन नगर निगमों का कार्यकाल इस महीने के अंत में खत्म हो जाएगा, वो सीट तीन महीने बिना किसी प्रतिनिधित्व के रह जायेंगी। पर बिना ओबीसी को प्रतिनिधित्व के चुनाव कराना भी ठीक नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एसजी से पूछा कि क्या आयोग इससे पहले अपनी शुरुआती रिपोर्ट पेश नहीं कर सकता है। तुषार मेहता ने कहा कि वो जानकारी लेकर इस बारे में कोर्ट को अवगत कराएंगे।
बीजेपी प्रवक्ता मनीष गुप्ता ने कहा कि सरकार तीन हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करेगी। सरकार ने ओबीसी आरक्षण की नई रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन माह की मोहलत मांगी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने काफी ज्यादा माना है। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि जब तक चुनाव नहीं होता, तब तक प्रशासक कोई बड़ा फैसला नहीं लेंगे। आयोग ने भी तीन महीने में प्रारंभिक रिपोर्ट देने की बात कही है, लेकिन जिलावार पूरे आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा होने में छह माह लग सकता है।

सपा प्रवक्ता ने कही ये बात
सपा प्रवक्ता कीर्तविर्धन पांडे ने भी कहा कि समाजवादी पार्टी भी बिना अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के चुनाव न कराया जाए। अब निकायों की कार्यसीमा खत्म हो रही है ऐसे में प्रशासकों के हाथों में जिम्मेदारी चली जाएगी। बिहार में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव के मुद्दे की तोहमत भी सपा ने बीजेपी पर मढ़ दी। पांडे ने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत किसी राज्य की प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार को आरक्षण की पूरी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था।

अप्रैल-मई से पहले चुनाव होना मुश्किल
ऐसे में अब यह तय लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में निकाय चुनाव नहीं होंगे। फरवरी-मार्च में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं होने के कारण अप्रैल-मई के पहले चुनाव होना संभव नहीं लग रहा है। योगी सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि ओबीसी आरक्षण के बिना सरकार चुनाव में आगे नहीं बढ़ेगी।

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