मथुरा। संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में ‘अग्निकर्म- इंटेन्शनल थेराप्यूटिक हीट बर्न थेरेपी’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने थेराप्यूटिक हीट बर्न थैरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि इस आयुर्वेदिक थैरेपी के द्वारा दर्द निवारण, आस्टियो अर्थराइटिस, स्पांडलाइटिस जैसी बीमारियों का निदान में किया जाता है।
भुवनेश्वर(उड़ीसा) से आए आयुर्वेद के शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डा.अन्नदा प्रसाद दास ने थेराप्यूटिक हीट बर्न थैरेपी के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी देते हुए अग्निकर्म प्रक्रिया की मूल अवधारणा से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि यह एक पैरामेडिकल प्रक्रिया है जिसका वर्णन आचार्य सुश्रुत ने किया है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की अग्निकर्म विधि से जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिल सकता है। इस विधि के प्रयोग से किसी तरह का कोई नुकसान शरीर को नहीं पहुंचता है। अधिकांश लोगों को इस पद्धति की खासियतों के बारे में जानकारी नहीं है इसलिए वे दर्द से लंबे समय तक जूझते रहते हैं। उन्होंने बताया कि जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाने में ‘अग्निकर्म’ बहुत उपयोगी है। इस विधि से सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस, कमर दर्द तुरंत कम करने के लिए पंच लौह सलाका (सोना, चांदी, तांबा, वंग एवं लोहा द्वारा निर्मित) से सेंकाई की जाती हैं। बताया कि अगर अधिक दर्द तो प्रतिदिन अन्यथा कम दर्द होने पर सप्ताह में एक या दो दिन इस विधि का प्रयोग करना जरूरी है। यह पक्रिया दर्द को दूर करने, मस्से, तिल को दूर करने, टेनिस एल्बो, बवासीर, फ्रोज़न शोल्डर और कई बीमारियों में फायदेमंद है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और धन्वंतरि पूजन से हुई। संस्कृति विवि के कुलपति प्रोफेसर एमबी चेट्टी और संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ) सुजित कुमार दलाई ने आयुर्वेद और अग्निकर्म के महत्व प्रकाश डाला। शल्य तंत्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सायंतन ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. अन्नदा प्रसाद दास का स्वागत किया और उनका परिचय कराया। उनके ज्ञान से बीएएमएस के लगभग १०० छात्र और २५शिक्षक लाभान्वित हुए।
अग्निकर्म के व्यावहारिक पहलू पर एक सत्र भी आयोजित किया गया था। बीएएमएस द्वितीय वर्ष और अंतिम वर्ष के छात्रों को अग्निकर्म प्रक्रिया का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सत्र श्याम ५ बजे तक चला जिसमें घुटने के दर्द, ओस्टियो अर्थिरिटिस, श्याटिका, फ्रोज़न शोल्डर आदि से पीड़ित २६ रोगी इस उपचार से लाभान्वित हुए।
सुधिष्ठ कुमार मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रशिक्षण सत्र के संचालन और प्रबोधन में प्रोफेसर (डॉ.)दील्लिप पती, डॉ. सायंतन, डॉ सुरभि, डॉ. एकता, डॉ. करण, डॉ. आदित्य और डॉ. हरिमोहन ने सहयोग किया|