Friday, March 21, 2025
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फटे होंठ व तालू के कारण और निवारण से रूबरू हुए डेंटल के विद्यार्थी

  • के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में डॉ. स्वाति आचार्य ने साझा किए अनुभव


मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में मंगलवार को “कम्प्लीट गाइड टू ऑल क्लीनिकल केस ऑफ क्लेफ्ट लिप एण्ड क्रानियोफेशियल ऑर्थोडॉन्टिक्स” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जानी-मानी दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति आचार्य ने पोस्ट-ग्रेजुएट और इंटर्न छात्र-छात्राओं को फटे होंठ और तालू के कारण और निवारण पर विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला का शुभारम्भ प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी तथा डॉ. अतुल सिंह द्वारा अतिथि वक्ता डॉ. स्वाति आचार्य के स्वागत भाषण से हुआ।

कार्यशाला की मुख्य वक्ता डॉ. स्वाति आचार्य ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फटे होंठ और तालू को मेडिकल भाषा में क्लेफ्ट लिप एण्ड पैलेट कहा जाता है। यह मुंह को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार का जन्मदोष है। फटे होंठ और तालू की समस्या तब होती है जब होंठ का निर्माण करने वाली दो संरचनाएं सामान्य रूप से काम न कर पाएं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एण्ड क्रानियोफेशियल रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार लगभग एक हजार बच्चों में सात बच्चे फटे होंठ और तालू के दोष के साथ जन्म लेते हैं।

बच्चे इस विकृति के साथ जन्म क्यों लेते हैं, इसके बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गर्भवती महिला में विटामिन बी और फोलिक एसिड की कमी के कारण होता है। उनके अनुसार अगर महिलाएं गर्भधारण से पहले ही इन विटामिनों को लें तो शिशु में यह समस्या होने से रोकी जा सकती है। डॉ. स्वाति आचार्य ने बताया कि फटे तालू की समस्या का पता शिशु के जन्म से पहले ही गर्भावस्था के दौरान किए गए अल्ट्रासाउंड में ही लग जाता है। अल्ट्रासाउंड की मदद से सिर्फ फटे होंठ और तालू का ही नहीं अन्य कई प्रकार के जन्म दोषों का भी पता लगाया जा सकता है।

डॉ. स्वाति आचार्य ने कहा कि कुछ मामलों में अगर अल्ट्रासाउंड के दौरान क्लेफ्ट लिप एण्ड पैलेट का पता नहीं लग पाया है, तो ऐसी स्थिति की पुष्टि के लिए फीटल एमआरआई स्कैन किया जा सकता है। कुछ मामलों में अगर बच्चे को बहुत ही कम फटे होंठ या तालू है, तो ऐसे में इसका पता सिर्फ तब ही लग पाता है जब बच्चे को दूध पीने के दौरान तकलीफ हो रही होती है। व्याख्यान में पूर्व सर्जिकल शिशु आर्थोपेडिक, नेसोएल्वियोलर मोल्डिंग की युक्तियों और तकनीकों के बारे में भी छात्र-छात्राओं को जानकारी दी गई। मुख्य वक्ता डॉ. आचार्य ने मिश्रित दंत चिकित्सा क्लेफ्ट मामलों में किस यांत्रिकी का पालन करना है तथा एक पूर्ण एडल्ट क्लेफ्ट ऑर्थोगैथिक मामलों और इसके वेलोफेरीन्जियल परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. स्वाति आचार्य ने नासोल्वोलर मोल्डिंग तकनीक के लिए इम्प्रेशन लेने और उपकरण निर्माण के एक वीडियो का भी प्रदर्शन किया। कार्यशाला के अंत में डॉ. अतुल सिंह ने सभी का आभार माना।

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