के.डी. डेंटल कॉलेज में हुआ काले पड़ चुके और टूटे हुए दांतों के प्रतिस्थापन पर व्याख्यान
मथुरा। दंत चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में भावी चिकित्सकों को नए शोधों और चिकित्सा विधियों से अवगत कराने के लिए समय-समय पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में मंगलवार को एंटीरियर एस्थेटिक्स एण्ड डेंटल एफआरसी के कम्पोजिट लैमिनेट्स पर एक सीडीई व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में डॉ. महेश चौहान ने छात्र-छात्राओं को टुकड़े-टुकड़े हो चुके तथा उखड़ चुके दांतों के प्रतिस्थापन पर विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. चौहान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि कम्पोजिट लैमिनेट पर देश के कई डेंटल कॉलेजों में रिसर्च की जा रही है। उन्होंने बताया कि असली दांत के खराब होने या आधा टूटने पर उसे निकालने की आवश्यकता नहीं रहती है। इससे मसूड़े व हड्डी को सिकुड़ने से रोका जा सकता है। मुंह के सारे दांत दोबारा से लगाए जा सकते हैं, जोकि असली दांत की तरह कार्य करते हैं। आधे टूटे हुए दांत में दूसरा आधा दांत जोड़ा जा सकता है, जिससे दांत जुड़े होने का पता भी नहीं चलता। उन्होंने बताया कि इससे दांत व मसूड़े को खराब होने से रोका जा सकता है। इसके माध्यम से की गई हीलिंग, कैपिंग व आरसीटी के रिजल्ट काफी अच्छे रहते हैं।
डॉ. चौहान ने कम्पोजिट लेमिनेट्स के माध्यम से दांतों के एस्थेटिक करेक्शन को बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकों के बारे में जानकारी देते हुए छात्र-छात्राओं को फाइबर रीइन्फोर्स्ड कम्पोजिट के उपयोग के बारे में भी सिखाया। उन्होंने लापता दांतों के प्रतिस्थापन में इसके उपयोग, रीअटैचमेंट प्रक्रिया में स्पिलंटिंग और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त दांतों के निर्माण की जानकारी देने के साथ छात्र-छात्राओं को एफआरसी के उपयोग, फायदे और नुकसान आदि की भी जानकारी दी।
कार्यशाला में लगभग एक सैकड़ा दंत चिकित्सकों तथा छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। व्याख्यान के बाद सारी विधियों को करने का लाइव प्रदर्शन किया गया तथा अतिथि वक्ता द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। अंत में के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने अतिथि वक्ता को स्मृति चिह्न भेंट कर उनका आभार माना। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय नागपाल ने किया।