मथुरा। संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल विभाग द्वारा अयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में देश के 12 राज्यों के विभिन्न आयुर्वेदिक कालेजों के विद्वानों ने आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े शोध पत्रों के माध्यम आयुर्वेद चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला।
एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में दैव व्यापार चिकित्सा को उजागर करने के लिए आयुर्वेद में बताए गए उपचार के तीन तरीको में से एक, वाग्भट्ट अष्टांग हृदय संहिता में ग्रह चिकित्सा के बारे में उल्लेखित संदर्भों को उजागर करने के लिए, अद्वितीय प्रबंधन के बारे में छात्रों को प्रोत्साहित करने और उनमें रूचि विकसित करने के लिए आयुर्वेद में समझाए, चिकित्सा ज्योतिष जब आयुर्वेदिक अभ्यास में उपयोग किया जाता है तो पुरानी बिमारियों के आसान निदान में मदद करता है और बेहतर लाभ के साथ इलाज के पहलू में मदद करता है, आयुर्वेद एक दैवीय विज्ञान और वेदों का ज्ञान है आदि पर वक्ताओं ने अपने शोध व्याख्यान प्रस्तुत किये।
सेमिनार में पारुल विश्वविद्यालय, गुजरात, एसकेएस आयुर्वेदिक कॉलेज, धन्वंतरि आयुर्वेदिक कॉलेज, श्री शाईआयुर्वेदिक कॉलेज, अलीगढ, नेमिनाथ आयुर्वेदिक कॉलेज के शिक्षकों एवं लगभग 350 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं ने अपने शोध व्याख्यान दिए जिसमें डॉ. तनमय गोस्वामी, वाईस प्रेसिडेंट, संस्कृति विश्वविद्यालय, छाता, मथुरा, डॉ. के. एस.आर. प्रसाद, प्राचार्य नेशनल कॉलेज ऑफ़ आयुर्वेदा एवं हॉस्पिटल, बरवाला हिसार, हरयाणा, हेमांग जोशी, सह आचार्य, पारुल विश्वविद्यालय गुजरात, डॉ. सपना, विभागाध्यक्ष, संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, मथुरा प्रमुख रूप से शामिल थे।
संस्कृति विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक चिकित्सा पर हुआ मंथनराष्ट्रीय सम्मेलन
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