Saturday, November 23, 2024
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डा.अंबेडकर के व्यक्तित्व के सभी पक्षों को साथ लेकर चलेःडा.रजनीश

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में भारत रत्न डा.भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में निर्धारित विषय, राष्ट्रीय एकता में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता, पर अपने ओजपूर्ण संबोधन में मुख्य वक्ता संस्कृति विवि के डाइरेक्टर आफ सेंटर फार एप्लाइड पालिटिक्स एंड स्टडी डा. रजनीश त्यागी ने कहा कि डा. अंबेडकर के व्यक्तित्व को समग्र स्वरूप में देखा जाना चाहिए न कि सिर्फ एक पक्ष को लेकर चलना चाहिए।
डा. रजनीश ने कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर महात्मा बुद्ध के अनुयायी थे उन्होंने अपने विस्तृत अध्ययन से सारी दुनिया को अचंभित किया था। अनेक विषयों पर उनकी बहुत महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं, जिससे उनके विशाल व्यक्तित्व को गढ़ा जा सकता है। उनके जीवन के सभी पहलुओं को समझना एक कठिन कार्य है। उनके लिए शिक्षित होना कितना महत्वपूर्ण था यह उनके द्वारा कहे इस कथन से स्पष्ट होता है कि शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पीएगा वो दहाड़ेगा। देश के एक और बटवारे के लिए अंग्रेजों ने डा. अंबेडकर पर अनेक डोरे डाले लेकिन वे उनके षडयंत्र में नहीं फंसे और उन्होंने देश को एक और बंटवारे से बचा लिया। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उनकी ऐसी बहुत सी पुस्तकें हैं जिनपर कोई चर्चा नहीं होती। डा. अंबेडकर की कानूनविद्, अर्थशास्त्री और एक राजनेता के रूप में चर्चा की जानी चाहिए, जो नहीं होती। उनके साथ एक ही पक्ष को लेकर चलना डा. अंबेडकर के साथ न्याय नहीं है। डा. अंबेडकर के जीवन को गहराई से समझने की जरूरत है।
डा. रजनीश ने बताया कि डा. अंबेडकर को पढ़ने की बहुत आदत थी। वे 21 घंटे रोज पढ़ते थे। उन्होंने 32 डिग्रियां हासिल कीं थीं। छुआछूत पर उन्होंने तीन पुस्तकें लिखीं। लोगों ने उनके अनेक विचारों से कुछ ही का सिर्फ अपने हित साधने में उपयोग किया। जबकि वे समान नागरिक अधिकारों के पक्षधर थे। डा. रजनीश ने अनेक संदर्भों का जिक्र करते हुए डा. भीमराव अंबेडकर के विशाल व्यक्तित्व को बताया और शिक्षकों से अपेक्षा की वे अपने विद्यार्थियों को डा. अंबेडकर समग्र व्यक्तित्व की जानकारी दें, केवल एक पक्ष की नहीं।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंत में संस्कृति स्कूल आफ एलाइड साइंसेज के डीन डा. डीएस तौमर ने संगोष्ठी में मौजूद लोगों का धन्यवाद और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज जरूरत है डा. अंबेडकर के विचारों को गहराई से समझने की। संगोष्ठी का संचालन संस्कृति विवि के ट्रेनिंग सेल की सीनियर मैनेजर अनुजा गुप्ता ने। संगोष्ठी का शुभारंभ विवि के डाइरेक्टर जनरल प्रो. जेपी शर्मा एवं विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया गया।

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