मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में प्राकृतिक आहार स्वस्थ जीवन का आधार विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्याशाला में मुख्य वक्ता के रूप में कृषक समृद्धि आयोग उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य श्याम बिहारी गुप्ता ने विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के विद्यार्थियों को जैविक खेती के महत्व और उसकी स्वास्थ्य के लिए उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने बताया कि जैविक खेती किस तरीके से लोगों के स्वास्थ्य और किसानों के दैनिक जीवन में परिवर्तन ला सकती है I उन्होने कहा कि मनुष्य तीन प्रकार से कुपोषित है जिसमें मुख्यतः गरीबी, बीमारी और बेरोजगारी है। इन सभी समस्याओं का समाधान प्राकृतिक खेती को अपनाकर किया जा सकता है क्योंकि प्राकृतिक खेती बीमारी, गरीबी और बेरोजगारी तीनों को दूर करने में सार्थक सिद्ध होती दिखाई दे रही है। उन्होंने किसानों और विद्यार्थियों को अपने उत्पाद की पैकिंग करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि अगर आज का विद्यार्थी सही तरीके से प्राकृतिक खेती बल्कि जैविक खेती को एक व्यवसाय के रूप में अपनाता है तो केवल एक परिवार या एक किसान की दशा ही नहीं सुधरती बल्कि पूरे देश का नवीनीकरण होता है। मुख्य वक्ता के साथ आए हीरा सिंह ने बताया कि प्राकृतिक और जैविक खेती के उत्पादों की मांग भारत में ही नहीं विश्व पटल पर भी साल दर साल बढ़ रही है। प्राकृतिक उत्पाद गुणवत्ता में तो उचित स्तर के होते हैं साथ ही इनका भंडारण भी लंबे समय तक किया जा सकता है। इस अवसर पर कृषि संकाय के सहायक अध्यापक डॉ. संजीव कुमार शर्मा, डॉ कमल पांडे, डॉ सतीश चौधरी, डॉ रामपाल, सक्सेना, दुर्गेश नंदन, डॉ प्रफुल्ल कुमार, डॉ सुदीप मल, डॉक्टर हर्षवर्धन, डॉ लक्ष्मी प्रिया खेत प्रबंधक दाऊ दयाल शर्मा, और लैब टेक्नीशियन रोहित तिवारी, हितेंद्र, राम प्रताप आदि उपस्थित रहे I कार्यक्रम के अंत में कृषि संकाय विभाग के अधिष्ठाता डॉ कंचन सिंह ने श्याम बिहारी गुप्ता, हीरा सिंह का परिचय देते हुए आभार व्यक्त किया। संस्कृति विवि के कुलपति प्रोफेसर एम.बी. चेट्टी ने कार्यशाला का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
और विश्वविद्यालय के चांसलर सचिन गुप्ता एवं ओएसडी मीनाक्षी शर्मा ने कार्यशाला की सफलता के लिए सभी को शुभकामनाएं दीं। कार्यशाला का संचालन डा. तनुजा ने किया।
संस्कृति विवि में हुई प्राकृतिक आहार और स्वस्थ जीवन पर चर्चा कार्यशाला
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