Sunday, December 22, 2024
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संस्कृति वेलनेस सेंटर में असाध्य रोगों से मिल रही मुक्ति

मथुरा। संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के अंतर्गत शुरू हुए वेलनेस सेंटर में भारतीय प्राचीन चिकित्सा और प्रभवशाली जड़ी बूटियों का प्रयोग कर असाध्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को आराम और रोगमुक्त किया किया जा रहा है। अनुभवी और सिद्धहस्त चिकित्सकों की टीम ने पांच सितारा सुविधाओं से युक्त इस वेलनेस सेंटर की ख्याति को देश के दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंचा दिया है।
संस्कृति वेलनेस सेंटर से रोगमुक्त होकर जाने वाले मरीजों या फिर यहां आकर अपने दर्द से मुक्ति पा रहे लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए यहां के चिकित्सकों की प्रशंसा में कोई कमी बाकी नहीं छोड़ी है। कानपुर से आईं 70 वर्षीय महिला श्रीमती शंकुतला बारासिया जो कुछ समय पहले ही व्हील चेयर पर यहां आईं थीं, अपने पहले स्लाट के उपचार के बाद ही चलकर वापस गईं हैं। श्रीमती शंकुतला की किडनियां काम करना लगभग बंद कर चुकीं थीं और उन्हें हफ्ते में तीन दिन डायलिसिस कराना पड़ रहा था। संस्कृति वेलनेस के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. तन्मय गोस्वामी की देखरेख में लगभग एक सप्ताह चले उपचार के उपरांत ही उनकी स्थिति इतनी बेहतर हो चुकी है कि वे अब सप्ताह में दो बार ही डाइलिस पर आ गई हैं। डा. तन्मय गोस्वामी का कहना है कि इसी तरह से उपचार के अन्य चक्रों के बाद वे जल्द ही इस स्थति में पहुंच जाएंगी कि उन्हें माह में सिर्फ एक बार ही डाइलिसिस की जरूरत पड़ेगी।
सूरत से परिवार सहित स्वास्थ्य लाभ को संस्कृति वेलनेस सेंटर आए अनूप सिंहल और उनके परिवार ने यहां एक सप्ताह के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वेलनेस सेंटर के डाक्टर बहुत योग्य और मददगार हैं। मरीजों को परिवार जैसा माहौल, भोजन और उपचार मिलता है। सारी सुविधाएं मौजूद हैं। लगता ही नहीं अस्पताल में आए हैं। मुरैना से आईं पद्मा अग्रवाल को जोड़ों में दर्द और कमजोरी की शिकायत थी। उनका शुगर लेबल भी बढ़ा रहता था। इलाज कराने के बाद अब वे 80 प्रतिशत लाभ बता रही हैं। यहां उपचार करा कर स्वस्थ होने वालों में मथुरा के अंकुर गर्ग, मुन्नी देवी मीनाक्षी देवी, कोसीकलां की सुधा अग्रवाल वर्षों से जिन रोगों से जूझ रहीं थीं और जिनको एलोपैथिक चिकित्सा से आराम नहीं मिल रहा था वे अब यहां उपचार कराकर स्वस्थ महसूस कर रही हैं।
संस्कृति वेलनेस सेंटर के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. तन्मय गोस्वामी ने बताया कि हमारे यहां एक 17 वर्षीय युवक शिवेंद्र धवन उपचार के लिए लाया गया। यह युवक डाइबिटिक था और समस्या गंभीर थी। इसका खाना पीना सब बुरी तरह से प्रभावित था। इसको रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता था। 15 दिन के इलाज के बाद ही उसकी इंसुलिन बंद हो गई और वह अब ठीक ढंग से खाना खा रहा है।

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