मथुरा। “बासमती चावल के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों ” पर किसानों को प्रशिक्षित करने हेतु, बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन(बीईडीएफ), एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डवलपमें एथोरिटी (एपीडा) ने संस्कृति विश्वविद्यालय के समन्वय से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में बासमती किसानों और हितधारकों को बासमती चावल के निर्यात में चुनौतियों और अवसरों के बारे में शिक्षित और अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया । कार्यशाला में 225 किसानों ने भाग लिया।
संस्कृति विवि के कैंपस-1 स्थित सभागार में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में मुख्य वक्ता पद्मश्री एवं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. वीपी सिंह, जो सबसे लोकप्रिय बासमती चावल की किस्म पूसा बासमती 1121 विकसित करने में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं, ने अपने ज्ञानवर्धक उद्बोधन में कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और अनुभवों को साझा करते हुए बासमती की खेती में आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तार से किसानों को बताया।
संस्कृति सेंटर फॉर एप्लाइड पॉलिटिक्स के निदेशक डा. रजनीश त्यागी ने स्वागत भाषण में कहा कि इस कार्यशाला का मुख्या उद्देश किसानों को प्रशिक्षित कर बासमती की उपज को बढ़ाना है और डॉ त्यागी ने कार्यशाला आयोजित करने और बासमती चावल के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों के महत्व को उजागर करने के लिए, बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन, एपीडा के प्रति आभार व्यक्त किया। बीईडीएफ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अनुपम दीक्षित ने किसानों को बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए फाउंडेशन की पहल और चल रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने प्रतिभागियों के साथ महत्वपूर्ण आँकड़ा साझा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने बासमती चावल के निर्यात में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, जिसका कुल निर्यात मूल्य चालू वर्ष में 38,524 करोड़ रुपये है। प्रतिभागियों ने इस विशेष क्षेत्र के भीतर विकास और विस्तार की अपार संभावनाओं को पहचाना और उद्योग की सफलता में योगदान देने के लिए प्रेरणा की एक नई भावना व्यक्त की। कार्यशाला में जीबी नगर में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्रतिनिधि डॉ. विपिन शर्मा, नवप्रवर्तक किसान सुधीर अग्रवाल ने बासमती चावल उत्पादन में अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा किया।
अध्यक्षीय भाषण संस्कृति विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रोफेसर (डॉ.) जेपी शर्मा ने दिया। डॉ. शर्मा ने बासमती चावल उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए निरंतर सीखने और ज्ञान साझा करने के महत्व पर जोर दिया। धन्यवाद ज्ञापन डीन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर डॉ. के.के. ने दिया। कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ। प्रो संस्कृति यूनिवर्सिटी बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर के सीईओ अरुण कुमार त्यागी और प्रो. प्रबंधन के नोडल प्रशिक्षण संस्थान के प्रशिक्षण समन्वयक दाऊ दयाल शर्मा ने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और गुणवत्तापूर्ण बासमती उत्पादन के प्रति प्रतिबद्धता को मान्यता देते हुए प्रमाण पत्र सौंपे। कार्यशाला का संचालन संस्कृति ट्रेनिंग सेल की वरिष्ठ प्रबंधक सुश्री अनुजा ने किया। कार्यशाला को सफल बनाने में डॉ संजीव शर्मा, डॉ कमल पांडे, डॉ सतीश चंद, हितेंद्र, रोहित, राम प्रताप इत्यादि लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
संस्कृति विवि, एपिडा ने बासमती के निर्यात के लिए किसान किए शिक्षित
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