के.डी. हॉस्पिटल में विश्व नशा निरोधक दिवस पर कार्यशाला आयोजित
मथुरा। इस समय हमारा देश ही नहीं समूची दुनिया नशे की गिरफ्त में है। अगर शरीर को नष्ट होने तथा परिवार को बर्बादी से बचाना है, बाल-बच्चों का भविष्य संवारना है तो हमें नशाखोरी का परित्याग करना होगा क्योंकि नशा नाश की जड़ है। यह बातें सोमवार को विश्व नशा निरोधक दिवस पर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के मनोचिकित्सा विभाग तथा नशामुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञ मनोचिकित्सक डॉ. गौरव सिंह ने नशे की गिरफ्त में आए लोगों तथा उनके परिजनों को बताईं।
कार्यशाला में मनोचिकित्सक एवं विशेषज्ञ नशामुक्ति डॉ. कमल किशोर वर्मा ने कहा कि नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही नष्ट हो जाता है। नशीले और जहरीले पदार्थों के सेवन से व्यक्तियों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही पारिवारिक तथा सामाजिक वातावरण भी क्लेशमय होता है। नशे के आदी व्यक्ति को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि दुर्व्यसन से आज स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग विशेषकर युवा वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। नशे से ग्रस्त व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। समाज में पनप रहे विभिन्न प्रकार के अपराधों का कारण नशा ही है। उन्होंने कहा कि एक पूर्ण नशा मुक्त व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। डॉ. वर्मा ने बताया कि इस साल का थीम- “लोग पहले: कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम को मजबूत करें” है।
विश्व नशामुक्ति दिवस पर स्लाइडर के माध्यम से नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों को इसके दुष्परिणामों से डॉ. प्रियंका और डॉ. विदुषी ने अवगत कराया। इन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मादक द्रव्यों से मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने के साथ-साथ समाज, परिवार और देश को भी गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। किसी भी देश का विकास उस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। नशे से विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे तपेदिक, निमोनिया, सांस की बीमारियां, कैंसर, अल्सर इत्यादि का भी सामना करना पड़ता है। हमें नशे से होने वाले दुष्प्रभावों पर गम्भीरता से विचार कर एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए।
नशीले पदार्थों के लती लोग ज्यादातर अकेले रहना चाहते हैं और अपने आपको समाज से अलग कर लेते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी ज्यादातर चीजें गोपनीय ढंग से ही हों। मादक द्रव्यों के सेवन का विकार एक व्यक्ति के अन्य लोगों के साथ मेलजोल और उनसे घुलने-मिलने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। कार्यशाला में संध्या कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर नशे की गिरफ्त में आए लोगों ने अपने अनुभव साझा किए वहीं उनके परिजनों ने बताया कि नशे की वजह से उनका परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। उनके बच्चे ठीक ढंग से पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे। इस अवसर पर नशे की गिरफ्त में आये लोगों ने नशा न करने का संकल्प लिया। कार्यशाला में डॉ. अंकुश, डॉ. रवनीत कौर, मनोनैदानिक विज्ञानी सचिन गुप्ता संध्या कुमारी, मंजनी, पूजा कुंतल, सोनू आदि उपस्थित रहे।