वित्तीय मामलों में व्युत्पादन का बहुत महत्वः भूपेश चौधरी
मथुरा। हमारे देश में डेरिवेटिव बाजार का महत्व तेजी से बढ़ रहा है, इसकी शुरुआत वर्ष 2000 में मानी जाती है। साल दर साल इसकी लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है। शेयर या कमोडिटी बाजार में ट्रेडिंग करने वालों का इस शब्द से पाला जरूर पड़ता है। डेरिवेटिव ट्रेडिंग वास्तव में शेयर या कमोडिटी बाजार में डेरिवेटिव की खरीद या बिक्री जुड़ा मामला है। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट द्वारा आयोजित कार्यशाला में बीबीए के छात्र-छात्राओं को रिसोर्स पर्सन भूपेश चौधरी (डेरिवेटिव एनालिस्ट-शेयर इण्डिया प्रा.लि.) ने बताईं।
राजीव एकेडमी में करियर अपॉर्च्युनिटी इन डेरिवेटिव मार्केट विषय पर आयोजित कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन श्री चौधरी ने बताया कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग एक पूर्व निर्धारित मूल्य के लिए भविष्य में डेरिवेटिव का ट्रेड करने के लिए दो पार्टियों के बीच हुआ एक समझौता है। डेरिवेटिव ट्रेडिंग आमतौर पर शेयर बाजार या कमोडिटी बाजार के कारोबारी घण्टों के हिसाब से होती है। उन्होंने कहा कि वित्तीय मामलों में व्युत्पादन का बहुत महत्व है जिसके बारे में छात्र-छात्राओं को जानकारी होना आवश्यक है।
श्री चौधरी ने कहा कि व्युत्पादन मार्केट में बहुत महत्व रखता है। विशेष रूप से स्टॉक मार्केट और शेयर मार्केट तो इससे बहुत प्रभावित होते हैं। विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि व्युत्पादन एक वित्तीय प्रपत्र है जो किसी अन्य परिसम्पत्ति, सूचकांक, कीमत या शर्तों से व्युत्पन्न होता है। उन्होंने बताया कि व्युत्पादन व्यापार कैश मार्केट में अपनी पोजीशन को बनाए रखने की सुविधा देता है। जैसे कि आप कैश मार्केट में पोजीशन स्टॉक खरीदते हैं तो आप डेरिवेटिव मार्केट में एक पुट विकल्प खरीद सकते हैं।
श्री चौधरी ने छात्र-छात्राओं को व्युत्पादन के कार्य करने की विधि, उसके प्रकार, शेयर की पहचान करना, शेयर मार्केट, कैश कैसे होता है पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हेजिंग करने वाले जोखिम-प्रतिकूल व्यापारी हैं जो किसी मुद्रा की वैल्यू में उतार-चढ़ाव से खुद को बचाने के लिए डेरिवेटिव सौदे करते हैं। वे एक अंतर्निहित सम्पत्ति की कीमत तय करके और जोखिम लेने वाले सट्टेबाज को मूल्य में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिम को स्थानांतरित करके अपना नुकसान कम करते हैं।
सट्टेबाज जोखिम लेने वाले व्यापारी हैं जो कीमत में उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के लिए हेजर्स से जोखिम उठाते हैं। वे शेयर बाजार के लिए तरलता का एक आवश्यक स्रोत बनाते हैं। मध्यस्थ कम जोखिम उठाने वाले व्यापारी हैं जो दो अन्य बाजारों में दो अलग-अलग कीमतों के लिए एक ही सम्पत्ति बेचकर लाभ कमाने का प्रयास करते हैं। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने रिसोर्स पर्सन भूपेश चौधरी का आभार माना।