संग्रहालय और शिक्षा एक सिक्के के दो पहलूः डॉ. रामकिशोर अग्रवाल
मथुरा। छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ ही ब्रज की संस्कृति और इतिहास से रूबरू कराने के लिए शनिवार को राजीव इंटरनेशनल स्कूल में अध्ययनरत कक्षा 6 के छात्र-छात्राओं को डेम्पियर नगर मथुरा स्थित राजकीय संग्रहालय का शैक्षिक भ्रमण कराया गया। इस शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने संग्रहालय में रखी वस्तुओं को न केवल देखा बल्कि शिक्षकों से तरह-तरह के सवाल भी पूछे।
डेम्पियर नगर मथुरा स्थित राजकीय संग्रहालय के शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन शिक्षकद्वय विक्रांत, गीता सिंह, प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और शुचिस्मिता ने किया। छात्र-छात्राओं ने संग्रहालय में रखे सिक्कों, पेंटिंग, टेराकोटा सामान, मूर्तिकला सहित अन्य उल्लेखनीय संग्रह को देखकर प्रसन्नता जताई। शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि इस संग्रहालय का इतिहास बहुत पुराना है। इस संग्रहालय की स्थापना 1874 में मथुरा के तत्कालीन कलेक्टर सर एफएस ग्रोसे ने की थी।
पहले इस सरकारी संग्रहालय को कर्जन पुरातत्व संग्रहालय के रूप में जाना जाता था बाद में इसका नाम बदलकर पुरातत्व संग्रहालय, मथुरा कर दिया गया। भारत सरकार ने 9 अक्टूबर, 1974 को इस संग्रहालय पर एक डाक टिकट भी जारी किया था। इस अष्टकोणीय संग्रहालय में विशिष्ट बोधि प्रतिमाएं और हाथ से तराशी गई मूर्तियां भी हैं, जो इसके विशाल लॉन के चारों ओर पंक्तिबद्ध हैं।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं के इस शैक्षिक भ्रमण पर आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल का कहना है कि संग्रहालय और शिक्षा को अलग करके नहीं देखा जा सकता, क्योंकि संग्रहालय से जो शिक्षा मिलती है, वह स्थायी होती है। सही मायने में संग्रहालय और शिक्षा एक सिक्के के दो पहलू हैं। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए पुस्तकीय ज्ञान की ही तरह शैक्षिक भ्रमण का भी बहुत महत्व है क्योंकि शैक्षिक भ्रमण से हासिल जानकारी चिरस्थायी होती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि भावी पीढ़ी को ब्रज की संस्कृति और इतिहास की जानकारी होनी जरूरी बहुत जरूरी है।
विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान का कहना है कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल प्रत्येक छात्र-छात्रा के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास को प्रतिबद्ध है। छात्र-छात्राओं ने मथुरा के राजकीय संग्रहालय में जो कुछ भी देखा है, उससे उन्हें ब्रज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी मिली है। प्रत्येक छात्र-छात्रा का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह जहां भी रहते हैं, उसकी उन्हें पूरी जानकारी हो।