भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के प्रतिनिधियों ने साझा किए अनुभव
मथुरा। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्र-छात्राएं अपने सपनों को पंख कैसे लगाएं इसके लिए जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा की इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल द्वारा सोमवार को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ इंटर्नशिप और परियोजना सम्भावनाओं पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के प्रतिनिधियों ने छात्र-छात्राओं को इंटर्नशिप और परियोजना सम्भावनाओं पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रीकृष्ण गुप्ता राजा रमन्ना फेलो, शाखा सचिवालय और परियोजना निदेशक ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप (जीसीएनईपी) ने डीएई का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं के साथ ही संकाय सदस्यों को डीएई से जुड़ने की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने छात्र-छात्राओं को विभिन्न संस्थानों एवं उनके कार्यों की जानकारी देते हुए डीएई के विभिन्न प्रोग्रामों तथा आईटीईआर क्रायोस्टेट से भी अवगत कराया।
उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग में इंटर्नशिप के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस का बहुत महत्व है। श्री गुप्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कम्प्यूटर साइंस का एक सब-डिवीजन है, इसकी जड़ें पूरी तरह से कम्प्यूटिंग सिस्टम पर आधारित हैं। एआई का अंतिम लक्ष्य ऐसे उपकरणों का निर्माण करना है जो बुद्धिमानी से और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें तथा मानव श्रम व मैनुअल काम को कम कर सकें।
डॉ. हृषिकेश मिश्रा, राजा रमन्ना फेलो, पूर्व निदेशक, इंजीनियरिंग ग्रुप, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव बुद्धि की नकल करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। कार्यशाला में डॉ. अर्चना शर्मा, निदेशक, बीम प्रौद्योगिकी विकास समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और अंशुल कुमार, वैज्ञानिक, ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप, बहादुरगढ़ ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने परमाणु ऊर्जा विभाग के वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने जी.एल. बजाज के छात्र-छात्राओं का जो मार्गदर्शन किया है, वह उनके करिअर में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यशाला में डॉ. अशोक कुमार, डॉ. भोले सिंह, डॉ. मंधीर वर्मा, डॉ. शशी शेखर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालक डॉ. शिखा गोविल ने किया तथा आभार डॉ. रमाकान्त बघेल ने माना।