के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में विद्वतजनों ने साझा किए विचार
मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में “रिविजिटिंग आरपीडी: कन्वेंशनल टू डिजिटल इवोल्यूशन” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रमुख वक्ता डॉ. सरनजीत सिंह भसीन और डॉ. रमित लाम्बा ने छात्र-छात्राओं को बताया कि उन्नत डिजिटल तकनीक से हटाने योग्य प्रोस्थोडॉन्टिक्स में क्रांतिकारी बदलाव आया है। दोनों वक्ताओं का मानना है कि चिकित्सा के क्षेत्र में अब पारम्परिक तकनीक की बजाय उन्नत डिजिटल तकनीक अधिक कारगर है। कार्यशाला का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी के स्वागत भाषण से हुआ।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के प्रमुख और जामिया मिलिया इस्लामिया में दंत चिकित्सा संकाय के पूर्व डीन डॉ. भसीन और नई दिल्ली में सीएनसी डेंटल लैब और अकादमी के निदेशक डॉ. लाम्बा ने “रिविजिटिंग आरपीडी: कन्वेंशनल टू डिजिटल इवोल्यूशन” विषय पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। इस कार्यक्रम का प्राथमिक फोकस हटाने योग्य आंशिक डेन्चर (आरपीडी) के क्षेत्र में पारम्परिक तकनीक की बजाय उन्नत डिजिटल तरीकों से संक्रमण का पता लगाना था। डॉ. भसीन ने छात्र-छात्राओं को बताया कि इंट्राओरल स्कैनर और सीएडी/सीएएम सॉफ्टवेयर सहित डिजिटल तकनीक से प्रोस्थोडॉन्टिक्स के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि ये डिजिटल उपकरण पारम्परिक मैन्युअल तरीकों की तुलना में काफी लाभदायी हैं।
दोनों वक्ताओं ने बताया कि डिजिटल इम्प्रेशन और 3डी प्रिंटिंग के उपयोग ने आरपीडी निर्माण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है तथा त्रुटियों को भी काफी कम किया है। इसके अतिरिक्त उन्नत डिजिटल तकनीक को अपनाने से चिकित्सकों, दंत प्रयोगशालाओं और रोगियों के बीच संचार बढ़ा है तथा उपचार परिणामों में भी सुधार हुआ है। कॉलेज के लेक्चर हॉल में आयोजित सीडीई कार्यक्रम में 140 से अधिक प्रतिभागियों ने डॉ. हरप्रीत के मार्गदर्शन में इंट्राओरल सेंसर पर व्याख्यान और प्रदर्शन सत्र के लिए अपना पंजीयन कराया था।
डॉ. सरनजीत सिंह भसीन ने अपने व्याख्यान में हटाने योग्य आंशिक डेन्चर में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य के लिए नवाचार को अपनाने पर जोर दिया। इंट्राओरल सेंसर पर डॉ. हरप्रीत के निर्देशित डेमो सत्र से प्रतिभागियों को काफी लाभ मिला। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सरनजीत और डॉ. रमित ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यक्रम का समापन डॉ. सरनजीत सिंह भसीन, डॉ. रमित लाम्बा और डॉ. मनेश लाहौरी द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर किया गया। प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह की शैक्षिक कार्यशालाएं छात्र-छात्राओं के संदेह दूर करने तथा क्षेत्र विशेष की गहरी समझ हासिल करने में मदद करती हैं।