-जीएलए में रिसर्च के बेहतर ईको सिस्टम से अनुसंधान के क्षेत्र में की जा रही हैं नई खोज
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बायोटेक विभाग ने अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी महती भूमिका निभाई है। इसी भूमिका के आधार पर नई दिल्ली स्थित एक कार्यक्रम में शैक्षिक जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका कॅरियर 360 ने जीएलए के बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह को उत्कृष्ट अनुसंधान अवार्ड से सम्मानित किया है।
इस अवार्ड का अलंकरण समारोह नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के सभागार में आयोजित अनुसंधान पुरस्कार कार्यक्रम में केंद्रीय संचार राज्य मंत्री देवसिंह चौहान, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. टीजी सीताराम, एमएएचई मणिपाल के कुलपति डा. एमडी वेंकटेश, और कॅरियर 360 के सीईओ महेश्वर पेरी द्वारा देश के कई संस्थानों से चयनित वैज्ञानिक शामिल हुए। जीएलए विश्वविद्यालय की तरफ से बायोटेक विभाग विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह को अनुसंधान कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। इस दौरान प्रो. शूरवीर ने विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
प्रो. शूरवीर ने बताया कि जीएलए के बायोटेक विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान के क्षेत्र में नई-नई खोज को जन्म दिया है। पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र से लेकर घरेलू पशुधन में फैलने वाली बीमारी जूनोटिक संक्रमण, बु्रसेलोसिस, पैराट्यूबोकुलोसिस और जूनोसिस बीमारियों तथा मनुष्यों के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर कई रिसर्च किए, जो कि स्कोपस पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्रों के एच-इंडेकस के आधार पर उल्लेखनीय योगदान हेतु कॅरियर 360 ने निजी संस्थानों की कैटेगिरी में अनुसंधान अवार्ड से सम्मानित किया।
उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में जीएलए विश्वविद्यालय ने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर सहित एक रिसर्च का ईको सिस्टम तैयार किया है, जिसके अन्तर्गत 12 से अधिक रिसर्च सेंटर जिनमें सोलर एनर्जी, माइक्रो नेनो डेवलपमेंट, बेंटले लैब ऑफ एक्सीलेंस, सस्टेनेबल इनवायरनमेंट एंड एग्रीकल्चर, एडवांस्ड कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग, सेंटर फॉर कम्प्यूटर विजन एंड इंटेलीजेंट सिस्टम, लैबव्यू एकेडमी, टेक्सास इंस्टूमेंट इनोवेशन, सेंटर फॉर काउ साइंस, आईपीआर रिसर्च सेंटर के माध्यम से अनुसंधान के क्षेत्र में नई खोज की जा रही हैं।
प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय ने रिसर्च के बेहतर ईको सिस्टम के लिए अलग बजट का प्रावधान किया है। इसी के चलते अब तक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने 450 से अधिक पेटेंट पब्लिश, 52 से अधिक पेटेंट ग्रांट तथा 6 हजार से अधिक रिसर्च पब्लिकेशन में सफलता हासिल की है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग सहित अन्य विभागों को कई सरकारी प्रोजेक्टों पर कार्य करने के अवसर मिले हैं। कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल भी अनसुंधान को बढ़ावा देने के लिए अग्रणी सोच के साथ लगातार आगे बढ़ रहे हैं।