विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। पुरानीं कहावत है कि एक म्यान में दो तलवार नहीं हो सकतीं। इस कहावत को चुनौती मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह दे रहे हैं। वे कलक्ट्री और मास्टरी दोनों जिम्मेदारी एक साथ निभा रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों पूर्व कई प्राइमरी विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह बच्चों को पढ़ाने लग गए थे। बच्चे भी यह समझने लगे कि ये कोई नये मास्टर आए हैं। ठीक यही प्रक्रिया इन्होंने पिछले दो-तीन दिन पूर्व जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के औचक निरीक्षण के दौरान अपनाई।
शैलेंद्र जी ने पठन-पाठन के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के साथ संवाद कर न सिर्फ शिक्षा संबंधी प्रश्न पूंछे बल्कि सुंदर और सुखद भविष्य निर्माण के बारे में अच्छी प्रकार समझाया। जिलाधिकारी ने अच्छे और सच्चे इंसान बनने के ऐसे टिप्स भी दिए जो लीक से हटकर थे। उन्होंने अनुशासन के साथ-साथ परोपकार वाली जिंदगी जीने पर विशेष बल दिया।
अच्छा यह रहेगा कि अब शैलेंद्र जी को राजकाज के साथ-साथ हर विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों की कम से कम एक माह में एक क्लास जरूर लगानी चाहिए, ताकि संतत्व से ओतप्रोत उनके उपदेशों का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके। उनके अधीनस्थ अफसर व कर्मचारियों पर उनके आदेशों से अधिक उपदेशों का अच्छा असर होगा और न सिर्फ अधीनस्थों बल्कि जन मानस को भी इसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
कहते हैं एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं। कहने का मतलब है कि अब तक तो मथुरा में सरकारी अफसरों में संतत्व वाले सिर्फ शैलजा कांत ही नजर आते थे। किंतु अब इस श्रेणीं में शैलेंद्र जी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर एक और एक ग्यारह कर दिए हैं। ग्यारह की यह संख्या मथुरा जनपद के लिए शुभ संकेत है। वैसे भी ग्यारह की संख्या शुभ होती है। खास बात यह है कि ये दोनों ही आजमगढ़ के रहने वाले हैं और यह जोड़ी महाराज जी यानी सूबे के मुखिया की विशेष प्रिय है। शायद परम संत देवराहा बाबा की कृपा इसी रूप में परिलक्षित हो रही है।
कलक्ट्री और मास्टरी साथ-साथ यानी एक म्यान में दो तलवार
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