मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाने के लिए ‘विश्व एड्स दिवस’ पर सेमिनार एवं मानव श्रंखला का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को बताया गया कि एड्स से बचाव ही सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है।
एड्स के प्रति जागरूकता के लिए आयोजित संगोष्ठी में स्टूडेंट वेलफेयर के डीन डा. डीएस तौमर ने बताया कि विश्व एड्स दिवस, 1988 के बाद से एक दिसंबर को हर साल मनाया जाता है। इसका उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढाना और इस बीमारी से जिसकी मौत हो गई है उनका शोक मनना है। सरकार और स्वास्थ्य अधिकारी, ग़ैर सरकारी संगठन और दुनिया भर में लोग अक्सर एड्स की रोकथाम और नियंत्रण पर शिक्षा के साथ, इस दिन का निरीक्षण करते हैं।
संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग कालेज के प्राचार्य डा. केके पाराशर ने विद्यार्थियों को बताया कि एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह एक तरह का विषाणु है, जिसका नाम एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिसिएंसी वाइरस) है। विश्व एड्स दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा चिह्नित ग्यारह आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। एड्स ने दुनिया भर में अनेक लोगों की जान लेली है और अनेक लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप मरने वालों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है। उन्होंने बताया कि साल 2023 वर्ल्ड एड्स डे की थीम लेट कम्यूनिटीज लीड है।
इस अवसर संस्कृति विश्वविद्यालय के एनएसएस और नर्सिंग स्कूल के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय के कैंपस-2 में एक मानव श्रंखला बनाई और शपथ ली कि हम मिलकर इस बीमारी को दूर भगाएंगे। कार्यक्रम में विद्यार्थियों के अलावा प्रो. ब्लेसी, केश चंद्रा, सुश्री साक्षी आदि की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही।
संस्कृति विवि में विद्यार्थियों को एड्स के प्रति किया गया जागरूक
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