- प्रियल अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को बताए ऑनलाइन शिक्षा के फायदे
मथुरा। कुछ तकनीकी चुनौतियों के बावजूद ऑनलाइन शिक्षा ने दुनिया भर में अपनी जगह बना ली है। महामारी से पहले के समय के विपरीत ऑनलाइन शिक्षा अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त और स्वीकार्य है। ऑनलाइन शिक्षा उन लोगों के लिए भी एक विकल्प है जिनका लक्ष्य आजीवन सीखना जारी रखना है। नियोक्ता ऐसे उम्मीदवारों की तलाश करते हैं जो सीखने के माध्यम से आगे बढ़ने की अपनी इच्छा और खुलेपन का प्रदर्शन कर सकें, जो अंततः उन्हें कार्यबल में अधिक विपणन योग्य बनाता है। यह बातें राजीव एकेडमी में आयोजित अतिथि व्याख्यान में प्रियल अग्रवाल ने एमबीए के छात्र-छात्राओं को बताईं।
अतिथि वक्ता प्रियल अग्रवाल उनाकेडमी (एडेक इन्स्टीट्यूट) ने छात्र-छात्राओं को बताया कि जॉब करिअर के क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा एक नया उभरता हुआ क्षेत्र है। आजकल फार्मास्युटिकल और फिनटेक कम्पनियां मॉड्यूल आधारित ऑनलाइन शिक्षण को मुख्य प्रशिक्षण के रूप में उपयोग कर रही हैं, जो रोजगार के क्षेत्र में नई क्रांति का संकेत है। नियामक निकाय आवश्यक प्रशिक्षण और कर्मचारियों को उनके आनबोर्डिंग के हिस्से के रूप में पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि आप ऑनलाइन जितना अधिक सीखेंगे उससे अधिक सिखाएंगे और आपको उतना ही अधित फायदा होगा तथा हाई पैकेज पर जॉब भी मिलेगा।
सुश्री अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण से समय और धन दोनों बचता है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से बेरोजगारी कम होगी। सभी शिक्षण संस्थान इस ओर पूरा ध्यान दे रहे हैं। सीखने की यह दूरस्थ शैली कार्य स्थलों में पहले से ही अच्छी तरह से अंतर्निहित है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के किसी भी स्तर पर विकल्प प्रदान करती है। एक ऑनलाइन छात्र के रूप में आप स्नातक कार्यक्रम, स्नातकोत्तर कार्यक्रम में नामांकन कर सकते हैं या प्रमाण-पत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रमाण-पत्र आपको विभिन्न क्षेत्रों में करियर शुरू करने या आगे बढ़ने में मदद कर सकता है।
अतिथि वक्ता ने बताया कि जब ऑनलाइन सीखने की बात आती है, तो उस ऑनलाइन कार्यक्रम को चुनना जो आपके शैक्षणिक लक्ष्यों के लिए सबसे उपयुक्त हो, एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। कार्यक्रम का चयन करते समय आपको ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान का अनुभव, ऑनलाइन कार्यक्रम की प्रतिष्ठा और ऑनलाइन पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले प्रशिक्षक परिसर में पढ़ाने वाले प्रशिक्षकों के समान हैं या नहीं, यह जानना जरूरी है। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का आभार माना।