Sunday, December 22, 2024
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जीएल बजाज में स्वास्थ्य सेवा उद्योग पर व्याख्यान आयोजित

  • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नौकरियों की कमी नहीं- डॉ. ओमप्रकाश कंसल

मथुरा। जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के प्रबंधन अध्ययन विभाग द्वारा गुरुवार को स्वास्थ्य सेवा उद्योग पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। अतिथि वक्ता अमेरिकन कैंसर सोसायटी में भारत के सलाहकार डॉ. ओमप्रकाश कंसल ने एमबीए प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं को बताया कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नौकरियों की कमी नहीं है। भारत का स्वास्थ्य सेवा उद्योग वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना चुका है।
डॉ. कंसल ने छात्र-छात्राओं को बढ़ते स्वास्थ्य सेवा उद्योग के महत्व से रूबरू कराते हुए कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें हमेशा बेहतर करियर की सम्भावनाएं रहेंगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में काम करने की सबसे अच्छी बात यह है कि आप हर दिन लोगों की मदद करेंगे, साथ ही उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। स्वास्थ्य सेवा उद्योग के भीतर आपकी भूमिका चाहे जो भी हो, स्वास्थ्य सेवा में काम करने से आप दूसरों की मदद करने के साथ ही जीविकोपार्जन की अपनी इच्छा को भी पोषित कर सकते हैं।
उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि स्वास्थ्य सेवा में नौकरियां हमेशा रहेंगी, चाहे वह पूर्णकालिक, अंशकालिक या किसी एजेंसी के माध्यम से हों, आपको अपने कौशल के साथ काम खोजने के लिए कभी भी संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, चूंकि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र सार्वभौमिक है, लिहाजा इसमें बहुत सारे अंतरराष्ट्रीय अवसर हैं। अतिथि वक्ता ने बताया कि मौजूदा समय में स्वास्थ्य सेवा उद्योग शब्द चिकित्सा कर्मचारियों की सीमा को पार करता है तथा अस्पतालों से परे अपनी पहुंच बढ़ाता है।
डॉ. कंसल ने कहा कि इसमें ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जो उपचारात्मक, निवारक, उपशामक और पुनर्वास देखभाल से संबंधित सामान और सेवाएं प्रदान करते हैं। स्वास्थ्य सेवा उद्योग में अब न केवल अस्पताल, नैदानिक परीक्षण, तथा चिकित्सा उपकरण शामिल हैं बल्कि टेलीमेडिसिन, स्वास्थ्य बीमा तथा चिकित्सा पर्यटन ने भी अपनी पैठ बना ली है। सच कहें तो भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग अपनी व्यापक सुविधाओं और सेवाओं के चलते वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना चुका है।
डॉ. कंसल ने हाल के बाजार रुझानों पर प्रकाश डाला तथा इस बात पर जोर दिया कि स्थिरता विभिन्न पहलुओं में व्यावसायिक प्रभावशीलता को बढ़ाने में कैसे योगदान देती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा उत्पादों और सेवाओं के मूल्यांकन, उनकी ताकत, कमजोरियां, अद्वितीय बिक्री प्रस्तावों का आकलन करने तथा प्रतिस्पर्धियों की तुलना में किसी भी अंतर की पहचान करने के इर्द-गिर्द घूमती है।
कार्यशाला के समापन अवसर पर संस्थान की निदेशक (प्रो.) डॉ. नीता अवस्थी ने डॉ. कंसल को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका स्वागत किया। व्याख्यान में एमबीए प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्रा के साथ ही प्राध्यापक स्तुति गौतम, सोनिया चौधरी, रामदर्शन सारस्वत सहित प्रबंधन अध्ययन विभाग के संकाय सदस्य उपस्थित रहे। आभार विभागाध्यक्ष प्रबंधन डॉ. शशि शेखर ने माना।

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