Saturday, November 23, 2024
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संस्कृति आयुर्वेद कालेज में केरलीय मर्मा चिकित्सा पर हुई कार्यशाला

मथुरा। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के आर्थो और इस्पाइनल डिसओर्डर(शल्यतंत्र) विभाग द्वारा मर्म चिकित्सा को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में केरल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा विद्यार्थियों को परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपनाकर बिना सर्जरी और स्टेरायड के असाध्य रोगों का कैसे निदान किया जाता है, बताया गया।
कार्यशाला के दौरान राजीव गांधी आयुर्वेदा मेडिकल कालेज पांडुचेरी के पूर्व प्राचार्य एवं केरलीय मर्मा विशेषज्ञ डा. एनवी श्रीवत्स ने स्वयं मरीजों को देखा और रोगों के निदान बताए। कार्यशाला में विशेष रूप से सर्वाइकल स्पांडलाइटिस, लंबर स्पांडलाइटिस, लिगामेंट इंज्यूरी, स्पाइनल इंज्युरी, शियाटिका, फ्रोजन शोल्डर, आस्टियो अर्थराइटिस, टेनिस एल्बो, कार्पल टनल सिंड्रोम, न्यूराइट्स, फाईब्रोमियोल्जिया, लिंफेडमा, जैसे मर्जों की जानकारी दी गई और उपस्थित मरीजों की चिकित्सा कर विद्यार्थियों को व्यवहारिक जानकारी दी गई। बताते चलें कि संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल में अत्याधुनिक मशीनों से शरीर संबधी अनेक विकारों का निदान किया जा रहा है।
केरलीय चिकित्सा के विशेषज्ञ डा. वत्स ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति आदिकाल से आज तक निरापद रूप से मानवजीवन को खुशहाल बनाती आई है। आज भी इसका उतना ही महत्व है जितना कि आदिकाल में था। हमारे ऋषियों ने अथक परिश्रम कर शरीर के विभिन्न रोगों के स्थाई निदान खोजे हैं। केरल के आश्रमों में आज भी परंपरागत रूप से रोगों का इलाज किया जा रहा है, जो बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है। हमारी परंपरागत चिकित्सा पद्धति हमारे शरीर को बीमारियों से दूर रखती है। बीमारी होने पर उसकी तह तक जाकर निदान के तरीके अपनाती है। शरीर के दर्दों से मुक्ति पाने के लिए यह सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने बताया कि मर्म चिकित्सा वास्तव में अपने अंदर की शक्ति को पहचानने जैसा है। डा0 वत्स का कहना है कि शरीर की स्वचिकित्सा शक्ति (सेल्फ हीलिंग पॉवर) ही मर्म चिकित्सा है। मर्म चिकित्सा से सबसे पहले शांति व आत्म नियंत्रण आता है और सुख का अहसास होता है।
कार्यशाला के दौरान संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के प्राचार्य डा. मोहनन एम ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के बाद दो सौ से अधिक मरीजों ने चिकित्सकों को अपनी समस्याएं बताईं और विशेषज्ञों ने उन समस्याओं के उपचार में और समस्याओं से बचाव के उपाय बताए।

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