सड़कों के रिटेनिंग वॉल में प्रयोग होने वाले पाइप की जगह अब जीएलए के प्रोफेसरों का काम करेगा आईडिया
मथुरा : सतह से ऊंची सड़क के स्ट्रक्चर को बनाए रखने के लिए पानी निकासी हेतु रिटेनिंग वॉल में पाइप लगाए जाते हैं, जिसमें कई परेशानियां आती हैं। इसी समस्या के समाधान का निश्कर्श निकालते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसरों ने एक नए आईडिया की खोज की है। जिसका ‘ऑटो ड्रेनेज ब्रिक‘ नामक पेटेंट भी प्रकाशित हो चुका है।
अक्सर देखने को मिलता है कि जमीन स्तर से ऊंची सड़कों के किनारे जो रिटेनिंग वॉल लगाई जाती है, उसमें पानी निकासी हेतु प्लास्टिक अथवा लोहे के पाइप लगाए जाते हैं, जिसमें काफी खर्च और समय भी लगता है। इसके अधिक खर्चे और समय की बचत हेतु जीएलए विश्वविद्यालय सिविल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर मोहित वर्मा और कुंवर राघवेन्द्र सिंह ने जल की निकासी मजबूत ईंट का आईडिया सुझाया है।
असिस्टेंट प्रोफेसर मोहित वर्मा ने बताया कि सड़क के स्ट्रक्चर को पानी से बचाए रखने के लिए साइट में रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया जाता है। सड़कों पर पानी जमा न हो उसके लिए रिटेनिंग वॉल में ही पाइप लगाए जाते हैं, लेकिन अब पाइप की आवश्यकता से भी छुटकारा मिलने की पूर्ण संभावना है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो उनके आईडिया के माध्यम से एक सीमेंटेड, फ्लाई ऐश, लाइम (चूना) के द्वारा एक खोखली ईंट का निर्माण होगा। यह ईंट रिटेनिंग वॉल में प्रयोग होगी। प्रयोग होने वाली खोखली ईंट के माध्यम से सड़क का पानी आसानी से बाहर आ सकेगा और अलग से कोई पाइप सिस्टम की आवश्यकता नहीं पडे़गी।
विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर गोयल कहते हैं कि सबकुछ ठीक रहने के बाद सिविल विभाग के प्रोफेसर का आईडिया धरातल पर आता है तो वाकई रिटेनिंग वॉल की मजबूती तो होगी ही, बल्कि सड़क के स्ट्रक्चर को बनाए रखने के लिए मुख्य धारा की तरह साबित होगी। साथ ही पाइप का खर्च तो बचेगा ही, बल्कि गिट्टी एवं पत्थर से यह ईंट अधिक किफायती मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगी।
डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि रिटेनिंग वॉल में लगने वाले पाइप कभी टूट और खराब हो जाते हैं, जिससे जमीन की सतह से ऊंची सड़क का पानी नहीं निकल पाता, लेकिन अब प्रोफेसर के आईडिया से काफी सहूलियत मिलेगी। खोखली यानि सुराख वाली मजबूत ईंट रिटेनिंग वॉल में एक नई कड़ी जुड़कर उभरेगी।