बरसाना सोमवार को , ढप धर दै यार गई पर की जो जीवेगो शो खेलेगो, पद के साथ हो गया। पद के अनुसार समाज गायन में उपयोग आने वाली ढप का वर्णन है जिसमें यह भाव है कि ढप को अब सुरक्षित धर दे, जो अगली साल तक जीयेंगा वो इस ढप को बजाएंगा। बरसाना में होने वाली प्रसिद्ध लड्डू व लठामार होली तथा फागमहोत्सव का शुभारम्भ बंसत के दिन से लाडली जी मन्दिर में ध्वज रूपी डाढ़ा गाढ़कर किया जाता है। चालीस दिवसीय इस होली महोत्सव के आनंद के रंग में श्रद्धालु बड़े भाव से राधाकृष्ण की इन लीलाओं का आनंद लेते है। गोस्वामी समाज के लोगो द्वारा मन्दिर परिसर में फागमहोत्सव का अन्तिम पद जीवेगो सो खेलेगो….. गाकर चलीस दिवसीय होली धमार का समापन कर, ढप, मृदंग, झांझ आदि को अगली साल के लिए उठाकर रख दिया है। वहीं शाम पांच बजे बृषभान नंदनी के डोला को सेवायत कंधों पर उठाकर मन्दिर परिसर में बनी संगमरमर की सफेद छतरी में विराजमान किया। होली महोत्सव के अन्तिम दिन राधाकृष्ण के युगल जोड़ी के दर्शनकर श्रद्धालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे।
बृषभान नंदनी भी अपने भक्तों पर कृपा का सागर उडे़ल रही थी। शाम सात बजे लाडली जी के डोले को वापस मन्दिर में ले जाया गया।जिसके उपरान्त गोस्वामी समाज की कन्याओं द्वारा आरता किया गया। वहीं श्यामा प्यारी के नजदीक से दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बेताब नजर आ रहे थे पूरा मन्दिर परिसर राधाकृष्ण के जयघोष से गूंजयमान हो रहा था।