मथुरा। सफल उद्यमी बनने के लिए नेतृत्व, उचित रणनीतिक सोच, टीम निर्माण, कौशल विकास तथा संसाधनों के विकास के लिए पर्याप्त विश्वसनीयता जरूरी है। सफल उद्यमी वही बन सकता है जिसमें जोखिम लेने का हौसला तथा कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट में सफल उद्यमी कैसे बनें विषय पर आयोजित कार्यशाला में अतिथि वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
कार्यशाला में एमएसएमई, आगरा के पूर्व निदेशक महेश कुमार, उप निदेशक एमएसएमई सतविन्दर कौर, बैंक मैनेजर, कैनरा बैंक मथुरा टी.सी. चावला तथा वित्तीय परामर्शदाता कैनरा बैंक मथुरा अमित चतुर्वेदी ने छात्र-छात्राओं से अपने-अपने विचार साझा किए। अतिथि वक्ता महेश कुमार ने कहा कि किसी भी उद्यम का शुभारम्भ करने से पूर्व एक ठोस कार्ययोजना बनाना बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं जो उद्यम हम स्थापित करना चाहते हैं उसका आर्थिक आय-व्यय कितना हो सकता है, यह जानना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापार में लाभ होने की सम्भावना आदि पर विचार करते हुए ही उद्यम शुरू करने का जोखिम उठाया जाता है जिसमें अप्रत्याशित लाभ और अनजान खतरे दोनों होते हैं।
उप निदेशक एमएसएमई सतिन्दर कौर ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आज कारपोरेट जगत में अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक स्थितियां हैं जिससे अनेक प्रकार की रुकावटें आती हैं। इन सबसे निपटने की कार्ययोजना भी हमें तैयार रखनी पड़ती है। छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए रिसोर्स परसन ने कहा कि सफल उद्यमी वही बन सकता है जो कई प्रकार के जोखिम उठा सके। आज के समय में वित्तीय हानियों और विफलता के जोखिम को कम करने के लिए व्यवसाय के स्वामी को कुछ खास कौशलों का ज्ञान होना भी बहुत जरूरी होता है। श्री कौर ने कहा कि अपना उद्यम शुरू करते समय एक उद्देश्य तय किया जाता है जिससे होने वाले लाभ के बारे में भी पता चल सके। यदि इन सभी को हम अच्छी तरह से मैनेज करके चलें तो उद्यम सफल होता है।
बैंक मैनेजर टी.सी. चावला ने कहा कि एक बड़ा उद्यमी बनने के लिए प्रभावी ढंग से बातचीत (संवाद) करने व अपने उत्पाद बेचने, ग्राहक का ध्यान केन्द्रित करने, हमेशा सीखने की प्रवृत्ति रखने तथा भविष्य की नई रणनीति बनाना आना चाहिए। श्री चावला ने छात्र-छात्राओं को बैंक से ऋण प्राप्त करने के तौर-तरीके भी बताए। वित्तीय परामर्शदाता अमित चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों की जिज्ञासा शान्त करते हुए उन्हें उद्यमिता की विशेषताओं, उद्यमी की योग्यता तथा उसकी बाजार पर पकड़ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निरंतर सीखने की प्रवृत्ति भी एक कौशल है। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने सभी अतिथि वक्ताओं का छात्र-छात्राओं को अमूल्य सुझाव देने के लिए आभार माना।