मथुरा। एक बार राजीव गांधी ने पहले आप, पहले आप की प्रतिस्पर्धा में मुझे हराकर बाजी मार ली। यह बात उस समय की है जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री पद से हट चुके थे। उस दौरान उन्हें भरतपुर में एक जनसभा को संबोधित करने जाना था। राजीव जी ने दिल्ली से भरतपुर तक का सफर बजाय कार के रेलगाड़ी से किया। राजीव गांधी रेल से भरतपुर जा रहे हैं, इस बात का पता मथुरा के पत्रकारों को चला, तो लगभग सभी प्रमुख पत्रकार भी रेलवे स्टेशन जा पहुंचे तथा उसी रेल में चढ़ गए और राजीव जी से रूबरू हुए।
राजीव गांधी दिल्ली से रेलगाड़ी के पिछले डिब्बे में चढ़े थे और एक-एक करके हर डिब्बे के यात्रियों से मिलते हुए आगे की ओर बढ़ रहे थे। उनके साथ कांग्रेस के कई बड़े नेता भी थे और नेताओं की टोली में तत्कालीन विधायक प्रदीप माथुर भी थे। जब राजीव जी थर्ड क्लास के उस डिब्बे में आऐ जिसमें हम सभी पत्रकार मौजूद थे, तो प्रदीप माथुर ने राजीव गांधी से मेरा परिचय कराते हुए कहा कि “ये विजय गुप्ता जी हैं, गुप्ता जी मेरे बड़े पुराने मित्र होने के साथ मथुरा के सीनियर पत्रकार भी हैं” इतना सुनते ही राजीव गांधी ने मुझे सम्मान देते हुए हाथ जोड़कर नमस्कार किया और बड़े स्नेह से रेल के डिब्बे की सीट की ओर इशारा करते हुए उस पर बैठने का आग्रह किया।
मैंने राजीव जी से कहा कि पहले आप बैठिए, इस पर राजीव जी ने कहा कि नहीं पहले आप, फिर मैंने उनसे कहा कि नहीं पहले आप बैठिए, इस पर उन्होंने कहा कि नहीं पहले आप, क्योंकि आप पत्रकार हैं और पत्रकार सम्माननींय होते हैं। इस पर मैंने कहा कि नहीं ऐसी गुस्ताखी मैं नहीं कर सकता, पहले आपको ही बैठना होगा क्योंकि हम सभी उपस्थित लोगों में आपसे अधिक सम्माननींय और कोई नहीं है। खैर न वे पहले बैठें और ना ही मैं बैठूं और कई बार पहले आप, पहले आप का सिलसिला चलता रहा और सभी लोग हक्के बक्के से होकर यह तमाशा देख रहे थे, कि अचानक राजीव जी को क्या उचंग सूझी कि उन्होंने मेरे दोनों कंधों पर अपने दोनों हाथ रखे और पूरी ताकत लगाकर धम्म से मुझे सीट पर बैठा दिया, उसके बाद ही वे खुद बैठे तथा कुछ मिनट बातचीत और हंसी मजाक की।
वह दृश्य आज ही मुझे रोमांचित करता रहता है। शायद मेरे जीवन का सबसे अधिक सम्मानित करने वाला सुखद मौका था। उस दौरान मैंने देखा कि राजीव गांधी प्रदीप माथुर को बहुत अपनत्व दे रहे थे। उनकी प्रगाढ़ता की एक झलक उस समय देखने को मिली जब वे प्रदीप माथुर की तौंद पर हाथ रख कर बोले कि “प्रदीप तुम्हारी तौंद तो बहुत बढ़ रही है इसे कम करो” प्रदीप झेंप गए और बोले कि “ठीक है सर अब मैं डाइटिंग करके इसे घटाऊंगा”। उनकी तौंद के बढ़ने का राज शायद यह होगा कि वे उस समय विधायक थे और अच्छी खुराक लेते होंगे। बाद में जब वे विधायक नहीं रहे तो फिर उनकी तौंद बगैर डाइटिंग के स्वतः ही पिचक गई।
बात चली है प्रदीप माथुर की तो बतादूं कि प्रदीप माथुर को विधायकी की टिकट प्रधानमंत्री रहते हुए स्वयं राजीव गांधी ने अपने निवास पर बुलाकर लंबा साक्षात्कार लेने के बाद दी थी। दरअसल प्रदीप माथुर के मामा इंदिरा गांधी के समय से ही पी.एम. हाउस में सर्जन रहे थे।
इसी दौरान एक घटना और घटित हो गई। ईश्वर की कृपा से वह घटना दुर्घटना होने से बाल-बाल बच गई। हुआ यह कि पत्रकार सवाल पर सवाल पूछे जा रहे थे, और उनके साथ मौजूद कांग्रेस नेताओं को यह बहुत अखर रहा था। उसी दौरान वार्ता के समापन होते होते ही दिलीप चतुर्वेदी जो उस समय “आज” अखबार में मेरे सहयोगी थे, ने फिर एक तीखा सवाल पूंछ लिया। उससे पूर्व केंद्रीय मंत्री आहलूवालिया इतने कुपित हुए कि उन्होंने दिलीप को चलती ट्रेन से धकियाने की कोशिश करने का दुस्साहस कर डाला।
इस बात पर हम सभी पत्रकार उत्तेजित हो गए और राजीव गांधी से आहलूवालिया की तीखे शब्दों में शिकायत की। इस पर राजीव गांधी बहुत दुःखी हुए और न सिर्फ उन्होंने हाथ जोड़कर क्षमा मांगी बल्कि आहलूवालिया को भी सभी के सामने डांट लगाई। राजीव जी की सौम्यता और भोलेपन की झलक आज भी मेरी आंखों के सामने घूम जाती हैं। मैं उनकी इस मनोहारी छवि को नमन करता हूं।
संपर्क नंबर प्रदीप माथुर – 9412279150
विजय गुप्ता की कलम से