दिल्ली और जयपुर के चिकित्सकों ने ऑपरेशन से कर दिया था इंकार
मथुरा। दिल्ली और जयपुर से निराश लौटी वृंदावन मथुरा निवासी लीना जॉनसन (28) पत्नी अनूप जॉनसन के लिए के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा भगवान साबित हुए। डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम ने कोई चार घंटे की मुश्किल सर्जरी के बाद महिला की आंतों को यथोचित स्थान पर शिफ्ट करने में सफलता हासिल की। अब लीना पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसे छुट्टी दे दी गई है।
जानकारी के अनुसार कोई छह महीने पहले लीना जॉनसन के पित्त की थैली का ऑपरेशन मथुरा के ही एक चिकित्सालय में किया जा रहा था। वहां के चिकित्सकों की असावधानी के चलते लीना की आंतों में कई जख्म हो गए। स्थिति बिगड़ती देख वहां के चिकित्सकों ने गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा से सम्पर्क किया। डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम ने वहां पहुंच कर न केवल मरीज की बिगड़ती स्थिति को संभाला बल्कि आंत का रास्ता बाहर निकाल कर लीना की जान बचाने में सफलता हासिल की। डॉ. मूंदड़ा का कहना है कि उस समय मरीज की स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसे के.डी. हॉस्पिटल लाया जाता।
लगभग छह महीने बाद आंतों को वापस अंदर डलवाने के लिए परिजन लीना को पहले दिल्ली फिर जयपुर ले गए लेकिन वहां के चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। आखिरकार 16 अप्रैल को लीना को के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा ने लीना की विभिन्न जांचों को देखने के बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया। 19 अप्रैल को डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम द्वारा लगभग चार घंटे की मशक्कत के बाद लीना की आंतों को यथोचित स्थान पर शिफ्ट किया गया। लीना को तीन-चार दिन गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया तथा पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद छुट्टी दे दी गई। इस मुश्किल ऑपरेशन में डॉ. मूंदड़ा का सहयोग डॉ. यतीश शर्मा, डॉ. प्रदीप, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. जगत सिंह, डॉ. अनुराग तथा टेक्नीशियन शिवम और बालकिशन ने दिया।
डॉ. मूंदड़ा का कहना है कि यह काफी मुश्किल सर्जरी थी, इसमें मरीज के जान जाने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि इंसान के शरीर में आंत को दूसरा मस्तिष्क कहते हैं। इसमें एक रीढ़ की हड्डी से ज्यादा न्यूरॉन होते हैं और ये शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिल्कुल अलग काम करता है। आंत का जटिल काम हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आंत का नियंत्रण आंतरिक तंत्रिका तंत्र करता है। यह सीधे तौर पर पाचन प्रणाली के लिए जिम्मेदार होता है। व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आंतों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। रोग प्रतिरोधक प्रणाली की 70 फीसदी कोशिकाएं आंत में होती हैं लिहाजा सर्जरी के दौरान विशेष सावधानी जरूरी होती है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, उप प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बड़ी और सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई दी। लीना के पति अनूप जॉनसन ने कम पैसे में सफल सर्जरी के लिए के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों तथा प्रबंधन का आभार माना। उन्होंने कहा कि यदि के.डी. हॉस्पिटल न आते तो पत्नी का जीवन बचाना मुश्किल हो जाता।
के.डी. हॉस्पिटल में हुई महिला के आंतों की मुश्किल सर्जरी, डॉ. मुकुंद मूदड़ा और उनकी टीम के प्रयासों से बची लीना की जान
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