Friday, December 27, 2024
Homeविजय गुप्ता की कलम सेइनका बस चले तो योगी जी को कच्चा ही चबा जांय

इनका बस चले तो योगी जी को कच्चा ही चबा जांय

मथुरा। अगर कुछ लोगों का बस चले तो योगी आदित्यनाथ को कच्चा ही चबा जांय। ये लोग कौन हैं? क्या मुस्लिम कट्टरपंथी है? जी नहीं, तो फिर क्या ऐसे जघन्य अपराधी हैं जिनके ऊपर योगी जी ने कड़ा शिकंजा कस रखा है? ये भी नहीं हैं। फिर तो भ्रष्टाचारी होंगे जिनकी नाक में योगी जी ने नकेल डाल रखी है? ये भी नहीं हैं। अरे बाबा तो फिर और कौन हो सकता है जो ऐसे तपस्वी प्रशासक की जान का दुश्मन बना हुआ है?
     अब मैं बताता हूं कि किन लोगों की आंख का कंकड़ बना हुआ है यह साधू। ये लोग हैं इन्हीं की पार्टी के जो योगी आदित्यनाथ के बढ़ते कद से बुरी तरह छटपटा रहे हैं। छटपटाहट का मूल कारण प्रधानमंत्री पद की कुर्सी है। जो महापुरुष मोदी जी के बाद अपने आप को प्रधानमंत्री के रूप में सुशोभित करना चाहते हैं, उनके बारे में बताने की जरूरत नहीं है। सभी जानते हैं कि ये कौन हैं? उनके साथ कुछ और लोग भी हैं। यह ग्रुप योगी आदित्यनाथ को लेकर मोदी जी के कान भी भरते रहते हैं।
     पिछले विधानसभा चुनाव में भी इन्हीं लोगों ने बखेड़ा खड़ा किया था तथा मोदी जी के कान भरकर योगी आदित्यनाथ की जगह अरविंद शर्मा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर मैदान में उतारा, किंतु योगी जी के तल्ख तेवरों और उसके खतरनाक दूरगामी परिणामों की कल्पना करके हाईकमान को अपने पैर वापस खींचने पड़ गए। इस बात को सारी दुनियां जानती है।
     यही नहीं विधानसभा चुनाव में अनेक ऐसे लोगों को मैदान में उतारा गया जो न सिर्फ मौका परस्त थे बल्कि जन मानस में उनकी छवि बहुत गंदी थी। इस मामले में योगी जी की इच्छाओं को दरकिनार किया गया। अनेक हराऊ प्रत्याशी होने के बावजूद जनता जनार्दन ने मोदी और योगी के नाम पर प्रचंड बहुमत दिया। इस बात को भी सभी लोग जानते हैं।
     अब लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कम सीटें मिलने के नाम पर ठीकरा योगी आदित्यनाथ के ऊपर फोड़ने का जो कुचक्र चला उसे सभी ने महसूस किया। देखने की बात यह है की टिकट वितरण में योगी आदित्यनाथ को एकदम दूर रखा। कैसे-कैसे लोगों को टिकट दी गई यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। मथुरा का ही मामला लिया जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि ऊपर बैठे कुछ लोगों की मंशा क्या है? हेमा मालिनी जैसी श्रेष्ठ प्रत्याशी को कहीं और से लड़ा कर यहां से ऐसे लोगों को लड़ाने का मन बनाया जिनकी छवि जनता की नजरों में पहले से ही बहुत गिरी हुई है।
     अब सोचने की बात यह है कि आखिर यह सब क्या और क्यों हो रहा है? जड़ में सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री की कुर्सी और कुछ लोगों का कुचक्र नजर आता है। सबसे ज्यादा भयंकर बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी पवित्र संस्था जो देशभक्ति से ओत प्रोत है तथा भारतीय जनसंघ व भारतीय जनता पार्टी की जननी है, से भी पंगा लिया जा रहा है और उसका रिजल्ट भी कुछ-कुछ सामने आ गया है। यानी अन्य दलों की बैसाखी पर भारत सरकार टिकी हुई है।
     अब मूल बात यह है कि जो महापुरुष मोदी जी के बाद अपने आपको प्रधानमंत्री के रूप में विराजमान होने की इच्छा पाले हुए हैं। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि सारी दुनियां उनके असली रूप स्वरूप को जानती है और उनकी इच्छा सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने बनकर ही रह जाएगी। अब अंत में यह कहना चाहूंगा कि जो योगी आदित्यनाथ कोरोना महामारी में जनता की मदद करने में इस कदर व्यस्त रहे कि अपने पिता की अंत्येष्टि तक में शामिल नहीं हुए तथा हर प्रकार से जनता जनार्दन के लिए मर मिट रहे हैं, उन्हें जितना रोका जाएगा उतना ही उनका कद ऊंचा होता चला जाएगा क्योंकि उनके साथ ईश्वरीय शक्ति का वरदहस्त जो है।

विजय गुप्ता की कलम से

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments