मथुरा : विश्वेश्वरैया मिलन-जीएलए विश्वविद्यालय (आरएसएस मथुरा महाविद्यालय कार्यविभाग की पहल) और जीएलए विश्वविद्यालय के औषधीय अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) ने डॉ. बिधान चंद्र रॉय, भारत रत्न-1961 की जयंती पर राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया ।
कार्यक्रम के पूर्व जीएलए विश्वविद्यालय चिकित्सा केंद्र आऱोग्यम के चिकित्सक पर डॉ. परमजीत सिंह कोहली और डॉ. जैनुद्दीन खान को डॉ. अरोक्या बाबू, निदेशक, औषधीय अनुसंधान और डॉ. मीनाक्षी बजपाई, प्रोफेसर एवं प्रमुख, औषधीय अनुसंधान द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ. परमजीत सिंह कोहली और डॉ. जैनुद्दीन खान ने राष्ट्र के विकास में चिकित्सकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर्स की गिरती हुई छवि के लिए डॉक्टर को ही जिम्मेदार माना है I डॉ कोहली के अनुसार कमीशनखोरी चिकत्सा के क्षेत्र में बदनुमा दाग है। डॉ. अरोक्या बाबू ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की संघर्ष यात्रा का उदाहरण देकर चिकित्सकों और औषधीय उद्योग के महत्व को रेखांकित किया साथ ही साथ डॉक्टर के कोविड के समय उनके कार्य को साहस एवं लगनशीलता की मिसाल बताया। ।
श्री रविकुमार तिवारी, महाप्रबंधक और इनक्यूबेशन केंद्र प्रमुख ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के प्रारंभिक दिनों में डॉ. बिधान चंद्र रॉय के राष्ट्र निर्माण के तरफ उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर भगवान का रूप होता है। और यह बात सही भी इसलिए लगती है कि जब हम बीमार होते हैं तो हमें डॉक्टर ही ठीक करता है। आज के इस बीमारी भरे दौर में बिना डॉक्टर के रहना ही मुश्किल है। क्योंकि बीमारी बहुत हो गई हैं। कब किसे क्या रोग लग जाए कुछ कह नहीं सकते, और बिना किसी डॉक्टर के ठीक हो नहीं सकते। हम आज भी डॉक्टर को भगवान ही मानते हैं।
कार्यक्रम में जीएलए विश्वविद्यालय के औषधीय अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) के कर्मचारी एवं शोध छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. योगेश मूर्ति, एसोसिएट प्रोफेसर, औषधीय अनुसंधान संस्थान ने किया। कार्यक्रम में टेक्नोलॉजी बिजनेस इंकुबेटर के कोऑर्डिनेटर श्री जितेन्द्र कुमार, श्री अभिषेक गौतम एवं दीपक शर्मा आदि सम्मलित हुए I