Sunday, September 8, 2024
Homeविजय गुप्ता की कलम सेबंदर पुराण भाग - 2

बंदर पुराण भाग – 2

मथुरा। पिछले दिनों मैंने एक ऐसे बंदर के बारे में फेसबुक पर लिखा था जिसने पूरे शहर में ऐसा आतंक मचाया कि लोगों की जान आफत में आ गई यानीं कि दिन का चैन और रातों की नींद हराम हो गई थी। इस लेख के बारे में कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और कुछ विशेष जानकारियां देते हुए बताया कि यह बंदर जादुई था। सबसे अधिक खास जानकारी जो कई लोगों द्वारा बताई गई उसकी चर्चा आप सभी के साथ कर रहा हूं। यह ज्ञात नहीं कि इसमें सच्चाई कितनी है।
     एक युवक जिसकी शादी नई नई हुई थी। वह बंगाल से जादू सीख कर आया उसने अपनीं पत्नी से कहा कि मैं बड़े दुर्लभ जादू सीख कर आया हूं। इस पर पत्नी ने कहा कि मुझे भी तो दिखाओ अपना कोई बढ़िया सा जादू। नई दुल्हनियां को खुश करने के लिए पति ने मंत्रों से दो गिलासों में पानीं अलग अलग सिद्द कर लिया और पत्नी से एक गिलास की ओर इशारा करके कहा कि पहले इस गिलास के पानीं को मेरे ऊपर डालना तो मैं बंदर बन जाऊंगा और फिर बाद में दूसरे वाले गिलास को डाल देना तब मैं पुनः इंसानी रूप में परिवर्तित हो जाऊंगा।
     पत्नी ने ऐसा ही किया यानीं कि पहले बताए गए गिलास के पानीं को उसके ऊपर डाल दिया और देखते ही देखते युवक बंदर बन गया। इस पर पत्नी बड़ी आश्चर्यचकित हुई और पति के जादू को देखकर गदगद हो गई। पत्नी को यह तो मालूम ही था कि मेरा बंदर पति मुझे कोई क्षति तो पहुंचाएगा नहीं अत: उससे वह छेड़खानी यानीं कि मजाक बाजी करने लगी क्योंकि पति को वापस इंसान बनने की जल्दी पढ़ रही थी और उसे पत्नी द्वारा कभी पूंछ पकड़ना कभी धौल जमाना अच्छा नहीं लग रहा था।
     अतः बंदर पति ने उसे घुड़की मारी यानीं कि दूसरा गिलास पानीं मेरे ऊपर जल्दी डाल क्योंकि वह इंसान की भाषा बोल कर तो उससे कुछ कह नहीं सकता था अतः उसने बंदर की भाषा में घुड़की देकर संकेत दिया होगा कि अरी ओ चुड़ैल क्यों मुझे परेशान कर रही है जल्दी से दूसरे गिलास का पानीं भी मेरे ऊपर डाल। उस नव विवाहित महिला ने अपने पति परमेश्वर का संकेत तो समझा नहीं और उसकी घुड़की से एकदम डर गई तथा उसी हड़बड़ाहट में दूसरे गिलास का पानीं और फैल गया इसके बाद वह युवक हमेशा के लिए बंदर ही बना रहा। उस आक्रोशित बंदर ने पहले तो अपनी पत्नी को ही सबक सिखा कर बुरी तरह बेहाल किया और फिर अन्य इंसानों व उनकी पत्नियों को सबक सिखाया यानीं कि उसे इंसानों से ही चिढ़ हो गई।
     इस बात की जानकारी तो किसी ने नहीं दी कि वह युवक कौन था तथा कौन उसकी पत्नी थी किस मुहल्ले या गली का मामला था लेकिन यह बात कई लोगों के मुंह से सुनी। हो सकता है यह बात चन्डू खाने की हो किंतु यह भी पक्का सच है कि वह बंदर सामान्य नहीं वह तो कोई जादूई या करिश्माई बंदर था। यह भी पक्का सच है कि बंगाल का जादू विश्व विख्यात है वहां का काला जादू तो जगजाहिर है। मैं बचपन में अपनी बड़ी बहन के यहां कलकत्ता बहुत जाता था और कई कई महीनों तक रहता था। हमारी बहन का घर कलकत्ते के बालीगंज में था उनके घर के पास ही विश्व विख्यात जादूगर पीसी सरकार का भी घर था। पीसी सरकार का बंगला बड़ा आलीशान तो था ही साथ ही उसके अंदर भी बड़ी बड़ी जादुई बातें थीं। हालांकि मैंने वे जादूई बातें तो घर के अंदर जाकर नहीं देखी किंतु सुना था। पीसी सरकार तो ऐसे जादूगर थे कि एक से बढ़कर एक असंभव चीजों को संभव कर के दिखा देते थे।
     अब बात जादू की चल रही है तो इस बारे में एक जोरदार बात करीब बीस वर्ष पूर्व पत्रकार दिलीप चतुर्वेदी ने मुझे उस समय बताई जब वे आज अखबार में मेरे सहयोगी थे। दिलीप जी आजकल दैनिक हिंदुस्तान के जिला प्रतिनिधि है उन्होंने बताया कि बंगाल की कुछ जादूगरनियां अपनीं जादू की कला में इतनी सिद्धहस्त होती हैं कि वह युवकों को बंधक बना लेती है और अपनी जादू की कला से उन्हें दिन में मैंड़ा बना कर रखती हैं और रात्रि में पुनः इंसानी रूप में परिवर्तित कर लेती है। मुझे उनकी इस बात पर भरोसा कम हुआ क्योंकि मैं भी बचपन में कलकत्ता बहुत गया था पर मैंने तो यह बात कभी किसी से नहीं सुनी किंतु दिलीप दावे से इस बात को कह रहे थे क्योंकि वे भी कलकत्ता कई बार गये हैं। फर्क इतना है कि मैं बचपन में जाता था और वे बड़े पन में गए हैं। मैं उस समय नासमझ था अतः हो सकता है उस समय मेरा ध्यान इस ओर नहीं गया हो।
     इस संबंध में मैंने विगत दो दिन पूर्व दिलीप जी से फोन करके पूछा कि तुमने लगभग बीस वर्ष पूर्व जादूगरनियों द्वारा मैड़ा बनाने वाली जो बात बताई थी क्या वह सही है? इस पर उन्होंने तपाक से कहा कि एकदम सही है। तब मुझे कुछ कुछ विश्वास सा होने लगा क्योंकि जादूगरी में तो सब कुछ संभव है। जादू तो जादू ही होता है और बंगाल तो जादू टोने में बादशाहत रखता है। दिलीप जी द्वारा इसकी पुष्टि में जो तीव्रता थी उससे मुझे पक्का विश्वास होने लगा। तभी मेरे दिमाग में एक भ्रम हुआ और मैंने उनसे पूंछा कि क्या कहीं तुम्हें भी ऐसा कोई अनुभव तो नहीं हुआ? इस दिलीप जी ने उसी तीव्रता से इस बात का खंडन किया जिस तीव्रता से वे इसकी पुष्टि कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नहीं नहीं मेरा कोई मतलब नहीं है अनुभव वनुभव से मैंने तो गुप्ता जी आपको सिर्फ सुनी सुनाई बात बताई है। यानीं कि क्षण भर में वे यू टर्न ले गये। जब मैंने उनसे पूंछा कि फिर तुम इतनी जोरदारी से इस बात की पुष्टि क्यों कर रहे थे? इस पर उन्होंने कहा कि कलकत्ते में यह बात बहुत ज्यादा चर्चित है इसीलिए मैंने भी आपसे कह दी थी। इसके बाद उन्होंने मुझसे पीछा छुड़ाते हुए कहा कि गुप्ता जी मैं स्नान करके चुका हूं और मुझे अब पूजा ईत्यादि करनीं है तथा बाद में बात कर लूंगा किंतु फिर उनका कोई फोन नहीं आया शायद वे मैड़ा वाली बात का बतंगड़ बनने से बच रहे थे।

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