Tuesday, September 17, 2024
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संस्कृत भारती ने वैदिक विधिविधान से मनाया महर्षि वेदव्यास जी का आविर्भाव उत्सव। वेदध्वनि से गुंजायमान हुई वेदव्यास जी की साधना स्थली कृष्णगंगा घाट

संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मथुरा महानगर द्वारा कृष्णगंगा घाट स्थित महर्षि वेदव्यास जी की साधना स्थली व्यास मन्दिर कालिन्देश्वर नाथ महादेव मंदिर के प्रांगण में महर्षि कृष्ण द्वैपायन बादरायण व्यास जी का आविर्भाव महोत्सव वैदिक विधिविधान के साथ श्री रामकथा मर्मज्ञ श्री अखिलेश गौड़ की अध्यक्षता में मनाया गया।
इस अवसर पर विद्वतगोष्ठी में मुख्य वक्ता संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मंत्री धर्मेन्द्र कुमार अग्रवाल ने संस्कृत भारती के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा हमारे ऋषि महर्षियों द्वारा प्राचीन काल में सभी धर्मग्रंथों की रचना देववाणी संस्कृत भाषा में की है जिसको समझने के लिए संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाना अति आवश्यक है।
मुख्य अतिथि संस्कृत भाषा के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा महाभारत, अठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय संस्कृत साहित्य दर्शन के प्रणेता थे महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी उन्होंने कहा वेदव्यास जी ज्योतिष शास्त्र के भी ज्ञाता थे।
इस अवसर पर संस्कृत भारती ब्रजप्रांत न्यास सचिव गंगाधर अरोड़ा, केशव गौड़, मनोज शर्मा,पं दाऊदयाल शास्त्री,पं रमेश चन्द्र शर्मा, विकास वार्ष्णेय, हरस्वरुप यादव, सुधाकर मिश्र, नरेन्द्र गोला, अनिल अग्रवाल, सरदार राजेन्द्र सिंह होरा, तरुण नागर,पं सत्यप्रकाश शास्त्री,पं भूपेश भारद्वाज आदि ने महर्षि वेदव्यास जी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा वेदव्यास जी ने महाभारत ग्रंथ के माध्यम से भारतीय अर्थनीति, राजनीति तथा आध्यात्म शास्त्र के सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत किया है।
इस अवसर पर गोष्ठी का संचालन करते हुए संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मथुरा महानगर अध्यक्ष आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने कहा कि संस्कृत भाषा के अनेक धार्मिक ग्रंथों के रचयिता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी बाल्यावस्था से ही असाधारण प्रतिभाशाली थे उन्होंने सोलह वर्ष की अल्पायु में ही धर्म स्थापना का कार्य प्रारंभ कर दिया था उन्होंने अपने जीवन में श्रुति परम्परा से प्राप्त अपौरुषेय वेदों का ऋक्,यजु,साम,अथर्व इन चार भागों में विभाजन किया अठारह पुराणों की रचना की जिनके माध्यम से आज हम सबको अपनी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, और इतिहास के विभिन्न पक्षों की जानकारी प्राप्त होती है।
इस अवसर पर संस्कृत भारती के कोषाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक योगेश उपाध्याय आवा ने पधारे हुए सभी अतिथियों का पटुका भेट कर सम्मानित करते हुए कहा महर्षि वेदव्यास जी ने श्रीगणेश जी के कहने पर बिना रुके एक लाख संस्कृत भाषा के श्लोकों की रचना की आज यह महान प्रेरणादायक धर्मग्रंथ महाभारत के रूप में हमारे सामने मौजूद है।
गोष्ठी एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य मुरलीधर चतुर्वेदी, केशव गौड़,पं दाऊदयाल शास्त्री, मनोज शर्मा द्वारा वैदिक व पौराणिक मंगलाचरण से किया गया। उपस्थित अतिथियों द्वारा महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा के सम्मुख वेदध्वनि के साथ दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम के अन्त में संस्कृत भारती मथुरा महानगर मंत्री भगतसिंह जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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