Tuesday, September 17, 2024
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एक ऐसे इंसान जिन्होंने अपना भाग्य खुद लिखा

मथुरा। कहते हैं कि इंसान का भाग्य ऊपर वाले के यहां से लिखकर आता है, किंतु एक इंसान ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना भाग्य खुद व खुद लिखकर इतिहास रचा। इनका नाम है सीताराम गुप्ता उम्र 92 वर्ष इन्होंने अपनी विलक्ष्णताओं से खुद की किस्मत स्वयं निर्धारित करके भारत ही नहीं विश्व में अपनी पताका फहराई और देश का नाम रोशन किया।
     सेठ सीताराम के नाम से विख्यात ये महापुरुष देश की वेश कीमती धरोहर हैं। हो सकता है उनके लिए महापुरुष कहना कुछों को अटपटा लगे किंतु इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद शायद उनकी धारणा बदल जाएगी। इनकी कंपनी का नाम है “स्टार वायर इंडिया” जो बल्लभगढ़ में स्थित है। इस कंपनी की धाक पूरे विश्व में है। एशिया में सबसे पहले बुलेट प्रूफ कार और बुलेट प्रूफ जैकेट इन्हीं की कंपनी ने तैयार की। इनकी कंपनी में हवाई जहाज, रेल तथा सेना के उपयोग में आने वाले तमाम सामान का निर्माण होता है। ब्रह्मोस मिसाइल का पूरा ढांचा इसी कंपनी की देन है।
     इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि चंद्रयान और सूर्ययान आदि अनेक यान जो इसरो द्वारा अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं। उनमें प्रयोग होने वाली अधिकांशतः धातू इन्हीं की कंपनी की देन हैं। और भी अधिक विलक्षण बात यह है कि भारत सरकार द्वारा अपने परमाणु संयंत्रों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी इन्हीं की कंपनी को सौंप रखी है। इसी से पता चलता है कि इनकी कंपनी की साख कितनी जबरदस्त है। अनेक देशों की सरकारें इनकी कंपनी से तमाम साजो समान व उपकरणों को खरीदती हैं। इनकी कंपनी की धाक का मूल कारण है श्रेष्ठतम गुणवत्ता।
     मजेदार बात यह है कि इस सब उपलब्धि के बावजूद ये अपने आपको गुमनाम बनाए हुए हैं। काफी समय पूर्व जब चंद्रयान और सूर्ययान छोड़े गए थे तब इसरो द्वारा इनकी कंपनी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक की बड़ी-बड़ी हस्तियों से इनका संपर्क रहा है। ये अंतर्मुखी स्वभाव के हैं तथा प्रसार प्रचार से एकदम दूर रहने का इनका स्वभाव है।
     यह मेरा सौभाग्य है कि ये मेरे मौसेरे भाई हैं तथा मेरे ऊपर इनका अगाध स्नेह व आशीर्वाद है। इनके पिताजी यानी हमारे मौसा जी मूलतः जयपुर के रहने वाले थे। उनके लोहे के व्यापार को सेठ सीताराम जी ने बखूबी संभाला और आज स्थिति यह है कि इन्हें देश का दूसरा रतन टाटा माना जाता है। इनकी दान वीरता किसी से छिपी हुई नहीं है। सज्जनता इतनी कि पूंछो मत हर किसी को मान देकर चलना इनका स्वभाव है।
     92 वर्ष की उम्र में भी ये प्रातः योग करते हैं तथा दो घंटे के लिए अपने कार्यालय भी जाते हैं, भले ही इन्हें दूसरे का सहारा लेकर चलना पड़ता है। वृद्धावस्था अन्य तरह-तरह की शारीरिक समस्याओं के बावजूद आज भी इनके हौसले बुलंद हैं। फिलहाल इनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इन्हें पूर्ण रूपेण स्वस्थ रखें व शतायु करें।

विजय गुप्ता की कलम से

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