बाल लीलाओं को सुन भावविभोर हुए भक्त
गोदा विहार मंदिर में चल रहा गुरुदेव जयंती महोत्सव
वृंदावन। श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व के अनेक पहलू हैं। वे माँ के सामने रूठने की लीलाएँ करने वाले बालकृष्ण हैं तो अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले योगेश्वर कृष्ण। इस व्यक्तित्व का सर्वाधिक आकर्षक पहलू दूसरे के निर्णयों का सम्मान है। कृष्ण के मन में सबका सम्मान है। वे मानते हैं कि सभी को अपने अनुसार जीने का अधिकार है।
यह उद्गार श्रीधाम गोदा विहार मंदिर में आयोजित गुरुदेव जयंती महोत्सव के अंतर्गत चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञानयज्ञ के पंचम दिवस महंत स्वामी शाश्वत आचार्य ने व्यक्त किये।
महाराजश्री ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कराते हुए कहा कि कन्हैया जैसी लीला मनुष्य क्या कोई अन्य देव नहीं कर सकता। लीला और क्रिया में अंतर होता है, भगवान ने लीला की है। जैसे जिसको कर्तव्य का अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा हो तो वह क्रिया कहलाती है। जिसको न तो कर्तव्य का अभिमान है और न ही सुखी रहने की इच्छा हो बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने वही लीला की जिससे सभी गोकुलवासी सुखी हुए।
रासलीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण द्वारा सम्पादित रासलीला साधारण लीला नही है। रासलीला को समझने के लिए गोपी भाव से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करनी होगी।
गोवर्धन लीला को सुनाते हुए महाराजश्री ने कहा कि इंद्र का अभिमान भंग करने के लिए भगवान ने इस लीला की रचना की। श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से इंद्र रुष्ट हो गए। इंद्र ने मेघों को आदेश देकर घनघोर बारिश करवा दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली पर सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को धारण किया।
इस अवसर पर कथा श्रवण करने आए विप्र महानुभावों ने श्रीमद्भागवत जी एवं गोदा विहार पीठाधीश्वर स्वामी शाश्वत आचार्य का सम्मान पटुका एवं माला पहनाकर किया। सम्मान करने वालों में चंद्र लाल शर्मा, सुरेश चंद्र शर्मा, ब्राह्मण महासभा के मीडिया प्रभारी गोपाल शरण शर्मा, ब्रजेश शर्मा शामिल रहे।