Saturday, November 23, 2024
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गोपियों का प्रेम सबसे निर्मल,सर्वोच्च और अतुलनीय : शाश्वत आचार्य

  • गोदा विहार मंदिर में गुरुदेव जयंती महोत्सव की धूम

वृंदावन। गोपी गीत श्रीमदभागवत महापुराण के दसवें स्कंध के रास पंचाध्यायी का 31 वां अध्याय है। इसमें 19 श्लोक हैं । रासलीला के समय गोपियों को मान (घमण्ड) हो जाता है। भगवान् उनका मान (घमण्ड) भंग करने के लिए अंतर्ध्यान हो जाते हैं। उन्हें न पाकर गोपियाँ व्याकुल हो जाती हैं। वे बड़े ही दुखी स्वर में श्रीकृष्ण को पुकारती हैं, यही विरह गान गोपी गीत है। इसमें प्रेम के अश्रु, मिलन की प्यास, दर्शन की उत्कंठा और स्मृतियों का रूदन है। भगवद प्रेम सम्बन्ध में गोपियों का प्रेम सबसे निर्मल, सर्वोच्च और अतुलनीय माना गया है।
यह उद्गार श्रीधाम गोदा विहार मंदिर में चल रहे गुरुदेव जयंती महोत्सव अंतर्गत आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास महंत स्वामी शाश्वत आचार्य ने व्यास पीठ से व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व जाल से विमुख होकर, देह, इन्द्रिय, मन, बुद्धि अहंकार आदि से विमुख होकर एकमात्र सर्वाधिष्ठान, सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर प्रभु को ही सम्यक् रूप से प्राप्त हो जाना ही प्रखर प्राप्ति है।
श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कर्म की प्रकृति आपके द्वारा किये गये कामों में नहीं होती। कर्म का अर्थ है कार्य, लेकिन पिछले कर्मों का संग्रह आपके द्वारा किये गए कार्यों के कारण नहीं है। जिन संकल्पों, मनोवृत्तियों और जिस तरह के मन को आप साथ ले कर चलते हैं, वही आपका कर्म है। उन्होंने कहा कि जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है। जिन्हें स्वभाव से ही ऐसी बुद्धि प्राप्त नहीं है, वे मूर्ख हठ करके क्यों किसी से मित्रता करते हैं ? मित्र का धर्म है कि वह मित्र को बुरे मार्ग से रोककर अच्छे मार्ग पर चलावे। उसके गुण प्रकट करे और अवगुणों को छिपावे।
महाराज श्री ने कहा कि श्रुति कह संत मित्र गुन एहा ।। मित्रों को आपसी देने-लेने में मन में शंका नही रखनी चाहिए। मित्र को सदैव अपने बल के अनुसार ही मित्र का सदा हित ही करना चाहिए । विपत्ति के समय तो सदा सौ गुना स्नेह करे। वेद कहते हैं कि संत (श्रेष्ठ) मित्र के गुण (लक्षण) ये है।

इस अवसर पर ब्रजवाला शुक्ला,बजरंग गाड़ोदिया, शकुन्तला आचार्य ,देवेश गोयल , राधेश्याम त्रिपाठी , रेखा त्रिपाठी, अशोक कालिका, गौरवशर्मा, शालिनी शर्मा, राधारमण वशिष्ठ, वंशी तिवारी , ब्रजगोपाल चित्रकार, किशन सिंह चौहान, लक्ष्मीनारायण तिवारी , गोपाल शरण शर्मा आदि उपस्थित थे ।

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