Saturday, November 23, 2024
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अभियंता दिवस पर विश्वेश्वरैया के कृतित्व और व्यक्तित्व को किया याद

  • जी.एल बजाज में इंजीनियर्स डे पर हुए विविध कार्यक्रम

मथुरा। एक इंजीनियर का काम सिर्फ मशीनें बनाना ही नहीं बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण करना भी है। आज की युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव करके राष्ट्र के विकास और नव-निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकती है। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा में अभियंता दिवस पर मुख्य अतिथि राजेश अवस्थी सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम ने छात्र-छात्राओं को बताईं। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि तथा सभी विभागाध्यक्षों द्वारा भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
मुख्य अतिथि श्री अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया सिर्फ एक इंजीनियर ही नहीं थे बल्कि वह दूरदर्शी थे तथा उन्होंने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी कई उपलब्धियां आज भी देश के विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण योगदान के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने भी उनकी काबिलियत को पहचानते हुए उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था। विश्वेश्वरैया का निधन 14 अप्रैल, 1962 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी हमारे बीच जीवित है। उनके द्वारा बनाए गए बांध, कारखाने और शिक्षण संस्थान आज भी देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
श्री अवस्थी ने कहा कि विश्वेश्वरैया ने सिर्फ सिंधु नदी ही नहीं बल्कि मूसा और इसा नदियों के पानी को भी बांधने के लिए कई योजनाएं बनाईं। इन योजनाओं से सिंचाई की सुविधा बढ़ी और देश के कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई। उनके इस अद्भुत कार्य के लिए उन्हें कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। विश्वेश्वरैया ने मैसूर राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कई बांधों, सड़कों और पुलों का निर्माण करवाया और राज्य को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
श्री अवस्थी ने बताया कि यूनेस्को ने पहली बार 4 मार्च, 2020 को इंजीनियर्स डे मनाया था। श्री अवस्थी ने कहा कि विश्वेश्वरैया जी की दृष्टि और समर्पण ने भारत में कई आधुनिक इंजीनियरिंग उपलब्धियों की नींव रखी, जिससे उन्हें भारत के आधुनिक इंजीनियरिंग के जनक का खिताब मिला। इतना ही नहीं उन्हें दीवान आफ मैसूर सम्मान से भी नवाजा गया। इस अवसर पर श्री अवस्थी ने छात्र-छात्राओं के साथ अपने जीवन के अनुभव साझा किए और कहा कि हर छात्र को कुछ अलग सोचना चाहिए। किसी भी मंच पर अपनी भागीदारी के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए भले ही आपका विचार खारिज कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग हर राष्ट्र की नींव है।
कार्यक्रम की समन्वयक इंजीनियर ऋचा मिश्रा (कम्प्यूटर साइंस) ने छात्र-छात्राओं को अभियंता दिवस की आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता बताई। उन्होंने कहा कि विश्वेश्वरैया एक ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने सिर्फ तकनीकी ज्ञान का ही प्रदर्शन नहीं किया बल्कि उन्होंने दूरदर्शिता और नेतृत्व का भी परिचय दिया। उनकी उपलब्धियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं और हमें याद दिलाती हैं कि एक व्यक्ति कितना कुछ कर सकता है। अंत में डॉ. उदयवीर सिंह ने मुख्य अतिथि राजेश अवस्थी को स्मृति चिह्न और पौधा भेंट कर उनका आभार माना।

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