विजय गुप्ता की कलम से
मथुरा। हेमा जी आखिर आप कौन सी चक्की का पिसा आटा खाती हो? जो 75 साल की बुढ़िया होकर अभी भी तरूणीं बनी हुई हो, बल्कि यौं कहा जाए कि तरुणियों को भी मात दे रही हो तो गलत नहीं होगा। यह सवाल मेरे दिमांग में बहुत दिन से चल रहा है। आज हिम्मत करके आपसे पूछ ही लिया। अब तो आप बात ही दीजिए कि वह चक्की कहां है? ताकि मैं भी उसी का आटा खाने लगूं। अब तक तो मैं अपनी चक्की का पिसा बढ़िया आटा खाता आया हूं, फिर भी 72 की उम्र में ही मेरी टें बोल चुकी है। जबकि आपकी चुस्ती फुर्ती तो तारीफे काबिल है।
चलो अब कुछ और चर्चा करने का मन है। यह बताओ कि आप राजनीति में क्यों आ गईं? आपके अंदर तो वर्तमान वाली राजनीति के कोई गुंण हैं ही नहीं। आप न तो हत्या, लूट और डकैती डालने वालों को संरक्षण देती हैं। न काले तेल का कारोबार करती हैं , और ना ही नशा करती हैं। इसके अलावा ना ही दलाली बट्टा करती हैं और ना ही कमीशन खाती हैं। कहने का मतलब है कि आज की राजनीति में सफल होने के लिए छुट्ट भलाई के सभी गुंण होने चाहिए, जो आपके अंदर नहीं हैं। आप तो सिर्फ कृष्ण भक्ति में लीन रहकर ब्रजभूमि की सेवा में लगी हुई हैं।
हां एक बात कहूं, अगर आप बुरा न मानें तो। चलो कह ही देता हूं बुरा मानें तो मानें मैं तो अब कहे बिन नहीं रह सकता, क्योंकि मेरे पेट में कोई बात पचती नहीं। भले ही आपने डकैती डलवाई न हो पर खुद एक बहुत बड़ी डकैती जरूर डाली है। कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता। कोई क्या आप खुद भी इस बात से इनकार नहीं कर सकतीं।
बताऊं कहां डाली है आपने डकैती। हेमा जी आपने धर्मेंद्र जी की सात फेरों वाली पहली पत्नी के हक पर डकैती डाली है। उसे बेचारी यानी सनी देओल की मम्मी से पूंछो कि उसके दिल पर क्या गुजरी होगी? खैर हमें इन बातों से क्या मतलब यह तो आप, धर्मेंद्र जी व सनी देओल की मम्मी के बीच का मामला है। हमें तो आप सिर्फ यह बता दो कि कौन सी चक्की का पिसा आटा खाती हो? ताकि मैं भी उसी चक्की से आटा मंगवाकर खाऊं और तरुण बन जाऊं। क्योंकि मेरे अंदर की चुस्ती फुर्ती वाली तरुणाई अब अंगड़ाई लेने लगी है।