रिपोर्ट राघव शर्मा
बरसाना मान्यता है कि आज से हजारों बर्ष पहले यहां यमुना नदी बहा करती थी। एक दिन जब ब्रज की गोपिकाएं यमुना में निवस्त्र स्नान कर रही थी, तो माखन चोर श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्रों का हरण कर कदम के वृक्ष पर जा बैठै थे। जब गोपियां स्नान करके के यमुना से बाहर आती है और अपने वस्त्रों को न पा कर दुखी हो जाती है। जब वो मुरली मनोहर को कदम के वृक्ष पर बैठा देख, उनसे प्रर्थाना करती है कि हे कृष्ण हमारे वस्त्र वापस कर दो। जब श्रीकृष्ण उनसे वचन लेते है कि आज के बाद वो कभी निर्वस्त्र स्नान नही करेगी। इस चीरहरण लीला का मंचन उसी जगह किया गया। जहां कभी यमुना बहा करती थी। श्रीकृष्ण की इस अनोखी लीला के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस अद्भुत लीला की एक झलक पाने के लिए श्रद्वालु आतुर नजर आ रहे थे।