Saturday, November 23, 2024
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संस्कृति के विशाल मंच पर शाश्वत आए और छा गए

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के आठवें स्थापना समारोह में विवि के मुख्य मैदान के विशाल मंच पर जवां दिलों की धड़कन बालीवुड के प्ले बैक सिंगर शाश्वत सिंह ने अपने गीतों का जमकर जादू बिखेरा। स्थापना दिवस के मुख्य आकर्षण के रूप में मौजूद इस युवा बालीवुड स्टार गायक ने अपनी ताजगी से भरी आवाज के साथ एक से बढ़कर एक गीतों की झड़ी लगा दी। छात्र और छात्राएं उनके लरजते और खनकते सुरों पर देर रात तक अपने ठुमकों से साथ देते रहे।
यूं तो शाश्वत सिंह बालीवुड सिंगर में अब नया नाम नहीं है पर अधिकांश श्रोता उन्हें एआर रहमान के 99 सांग्स में जय की आवाज के रूप में पहचानते हैं। संस्कृति विवि के मंच पर आते ही छात्र-छात्राओं ने जबर्दस्त किलकारियों और तालियों के साथ उनका स्वागत किया। अत्याधुनिक म्युजिक सिस्टम से निकल रही दिल और दिमाग को झंकृत कर देने वाले संगीत के साथ शाश्वत ने अपने मौलिक अंदाज में लोकप्रिय गीतों के साथ शुरूआत की। हजारों विद्यार्थियों के इस श्रोता समूह को देखकर शाश्वत के अंदर भी एक ऐसा जोश भरा कि उन्होंने संस्कृति विवि स्थापना दिवस की इस शाम को यादगार बना दिया।
शाश्वत ने, मुझको इतना बताए कोई, गीत से शुरूआत की। अपना एक नया गाना, एक लड़की थी दीवानी सी, किशोर कुमार के गाए लोकप्रिय गीत एक लड़की भोली भाली सी, तर्ज पर सुनाकर विद्यार्थियों में सुरूर भर दिया। शाश्वत भी थोड़ी देर में समझ गए कि छात्र, छात्राएं लंबे गीत सुनने के मूड में नहीं है तो उन्होंने ढेर सारे गीतों के मुखड़ों को एक लड़ी में पिरोकर हर तरह के गीत गाए और छात्र, छात्राओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। तुझको हुआ यकीं, लुक छुप न जाओ जी, यही उमर है कर ले गलती से मिस्टेक, मन मस्त, मस्त, तू मेरा कोई न होके भी कुछ लागे, ऐ कबीरा मान जा, लकी अली का गाया, शाम सवेरे तेरी याद आती है, इक पल का जीना, इश्क में दिल बना है, मिटा दे या बना दे मैंने तुझको चुना है जैसे गीत गाकर खूब तालियां बटोरी। शाश्वत ने रॉक, राजिस्थानी, पंजाबी हिट गीतों को सुनकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
शाश्वत सिंह के पांच स्वतंत्र सिंगल्स जिसमें इलेक्ट्रो-पॉप ट्रैक ” यूं क्यूं ” और चंचल ध्वनिक सिंगल ” मवाली दिल ” शामिल हैं। साथ ही ” वाट वाट वाट ” और ” रूबी रूबी ” जैसे प्लेबैक हिट्स के साथ, सिंह ने पिछले दशक में ब्रेकआउट पावरहाउस गायक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। यही पहचान छात्र-छात्राओं की डिमांड का कारण बन रही थी। वैसे उन्होंने शो मी द ठुमका, अभी न जाओ छोड़कर, अगर तुम साथ हो गीत सुनाकर युवा दिलों पर जमकर अपना जादू बिखेरा।लगातार हो रही डिमांड पर
शाश्वत गीत गाते चले गए और रात का अंधेरा कब घिर गया लोगों को पता ही नहीं चला। अंत में उन्हें विश्विद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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