Saturday, November 23, 2024
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जीएलए में आयोजित होगी पैराट्यूबरकुलोसिस पर 16वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

  • जीएलए के बायोटेक विभाग द्वारा 21 से 25 अक्टूबर तक आयोजित होने वाली संगोष्ठी में जुटेंगे देश-विदेश के वैज्ञानिक

मथुरा : पैराट्यूबरकुलोसिस गौवंश के लिए एक खतरनाक बीमारी बनकर उभरी है। इस बीमारी के जड़ से खात्मा के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा का बायोटेक्नोलॉजी विभाग विभिन्न शोधों पर जुटा हुआ है। इसी विषय पर गंभीर चर्चा हेतु 16वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 21 से 25 अक्टूबर तक आयोजित की जा रही है। संगोष्ठी देश-विदेश के लिए वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता प्रमुख रूप से शामिल होंगे।

यह पहली बार है जब यह संगोष्ठी भारत देश का प्रतिनिधित्व करते हुए मथुरा के जीएलए विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है। संगोष्ठी का विषय जैव प्रौद्योगिकी, माइक्रोबायोलॉजी, आणविक जीव विज्ञान, प्रतिरक्षा विज्ञान, जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पैथोलॉजी, महामारी विज्ञान, निदान, नियंत्रण आदि के क्षेत्रों पर आधारित है। इस संगोष्ठी में जीएलए पहली बार पैराट्यूबरकुलोसिस से ग्रसित गोवंश के स्वास्थ्य की देखभाल और प्रबंधन में वैकल्पिक दवाओं पर सत्र आयोजित कर रहा है।

बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि पैराट्यूबरकुलोसिस, जिसे जॉन्स रोग के रूप में भी जाना जाता है, जो कि आंतों की एक पुरानी संक्रामक असाध्य जीवाणु जनित बीमारी है। यह बीमारी गोवंश के अतिरिक्त, भेड़, बकरियों, भैंस, ऊंट इत्यादि की उत्पादनशीलता और मवेशियों को प्रभावित करती है। साथ ही माइकोबैक्टीरियम पैराट्यूबरकुलोसिस के संक्रमण के कारण अन्य जंगली जुगाली करने वाली प्रजातियों नीलगाय, जंगली भैंसा, याक, मिथुन आदि को भी प्रभावित करती है।

उन्होंने बताया कि संगोष्ठी के जीएलए द्वारा आयोजित विभिन्न सत्रों में यह ’संवाद’ कई पुराने तथा युवा शोधकर्ताओं को अपनी शोध प्रस्तुत करने का प्लेटफार्म प्रदान करता है। यह ‘आईसीपी‘ उच्च शिक्षा संस्थानों, व्यवसायों और अनुसंधान केंद्रों, समूहों और व्यक्तियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने, सहयोग को बढ़ावा देने और नेटवर्क समूह बनाने के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगी। भारत और एशिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संकाय, विद्वान, शोधकर्ता और कॉर्पोरेट अधिकारी वर्तमान स्थिति, शोध के सुराग, अनसुलझे प्रश्नों, विचारों और शोध निष्कर्षों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान तथा इस असाध्य रोग पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी साझा करेंगे।

यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह तथा टीम में डॉ. जगदीप सोहल, डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. स्वरूप पांडे, डॉ. नवभारत मेंथाना एवं जिसका निर्देशन जीएलए के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता के द्वारा किया जा रहा है।

संगोष्ठी में विभाग के अन्य फैकेल्टी मेंबर्स तथा प्रोजेक्ट एवं पीएचडी स्टूडेंट द्वारा योगदान किया जा रहा है। कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, सीईओ नीरज अग्रवाल, सीएफओ विवेक अग्रवाल एवं कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने सम्मेलन के आयोजन की सफलता के लिए विभाग को शुभकामनाएं दीं।

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