- शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप है नशाः पुलिस अधीक्षक ग्रामीण त्रिगुण बिसेन
- के.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई नशामुक्त भारत अभियान पर संगोष्ठी
मथुरा। नशा एक सामाजिक बीमारी है, इस बीमारी से हमें और आपको न केवल अपने आपको बचाना है बल्कि जागरूकता के माध्यम से समाज तथा राष्ट्र को भी सुरक्षित करना है। नशा शरीर के लिए जहां खतरनाक है वहीं समाज में बढ़ते अपराधों का भी मुख्य कारण है। नशा मुक्त-अपराध मुक्त समाज की स्थापना के लिए हम सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे तभी नशामुक्त भारत अभियान की यह मुहिम सार्थक होगी। उक्त उद्गार शुक्रवार को मथुरा पुलिस तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मद्यनिषेध शिक्षात्मक प्रतियोगिता और संगोष्ठी में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय ने एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। संगोष्ठी शुभारम्भ से पूर्व प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय तथा महाप्रबंधक अरुण अग्रवाल ने पुलिस अधीक्षक ग्रामीण त्रिगुण सिंह बिसेन का स्वागत किया।
एसएसपी श्री पांडेय ने मेडिकल छात्र-छात्राओं को नशे के खिलाफ सजग रहने की अपील की तथा कहा कि नशे की शुरुआत शौक से होती है और यही शौक एक दिन अभिशाप बन जाता है। उन्होंने कहा कि आप लोग लैम्प की तरह जलते हुए समाज को जागरूकता के माध्यम से नशे से बचा सकते हैं। श्री पांडेय ने कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन का प्रयास है कि नशा मुक्त अभियान से अधिक से अधिक लोग जुड़ें ताकि नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी मिशन शक्ति तथा पुलिस अधीक्षक ग्रामीण त्रिगुण सिंह बिसेन ने कहा कि पुलिस मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करती है मगर लोगों में नशे के खिलाफ जागरूकता पैदा करने तथा इस अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए जन सहयोग अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नशे का सेवन किसी भी प्रकार से हितकारी नहीं है। नशे के कारण लोगों की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। उन्होंने कहा कि नशे से ग्रस्त व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। समाज में पनप रहे अपराधों का कारण नशा ही है।
डॉ. राघवेन्द्र सिंह (साइकोलॉजिस्ट) ने छात्र-छात्राओं को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में बताया और कहा कि आज की युवा पीढ़ी मानसिक दबाव से निजात पाने के लिए नशे का शिकार हो रही है। उन्होंने कहा कि नशा एक ऐसी बुराई है जिससे इंसान का अनमोल समय, शरीर तथा परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। इस अवसर पर यूनीसेफ से जुड़े सैय्यद इमरान कादरी ने कहा कि नशा मुक्त समाज बनाने के लिए आमजन को पूरी तरह सहयोग करना चाहिए ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके। नशे के खिलाफ चलाई जा रही इस मुहिम में सामाजिक संस्थाओं तथा युवाओं की अहम भागीदारी सुनिश्चित कर समाज को नशामुक्त किया जा सकता है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज के उप चिकित्सा अधीक्षक तथा विभागाध्यक्ष मनोचिकित्सा डॉ. गौरव सिंह ने बताया कि आज के समय में नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं नशे के लिए युवा नशीली दवाओं तथा इंजेक्शन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं जोकि बहुत ही खतरनाक है। डॉ. उपदेश सिंह ने कहा कि भारत जैसे युवाओं के देश को नशामुक्त होने की जरूरत है तभी हम एक विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे।
संगोष्ठी में डॉ. रवनीत सिंह ने पंजाब में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर विस्तार से प्रकाश डाला वहीं डॉ. एलिस, हेमंत शांडिल्य तथा मेडिकल छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मेडिकल छात्र-छात्राओं के बीच नशे से जुड़ी एक क्विज प्रतियोगिता कराई गई, जिसे छात्रों की टीम ने जीता। अंत में सभी विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में क्षेत्राधिकारी छाता आशीष कुमार शर्मा, प्रभारी निरीक्षक छाता संजय कुमार त्यागी तथा मिशन शक्ति से जुड़े राजकमल आदि का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गौरव सिंह ने किया।