रिपोर्ट – विनोद शर्मा
ताज नगरी आगरा औऱ नोयडा की दूरी कम करने के लिये बनाया गया यमुना एक्सप्रेस-वे हर वर्ष हादसों का एक्सप्रेस-वे बनता जा रहा है। इस मार्ग पर होने वाले हादसों को लेकर हर कोई चिंतित भी है। जिसका कारण यह है कि इन हादसों में किसी न किसी ने अपने को जो खोया है। जो जिंदगी भर का दर्द दे जाता है। यह एक्सप्रेस-वे 165 किलोमीटर लम्बा है। इस एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो बीते 12 वर्षों में यह एक्सप्रेसवे 1320 लोगों को लील गया। एक्सप्रेस-वे पर विभिन्न कारणों से 7425 हादसे हो चुके हैं। जिनमें सबसे ज्यादा हादसे वाहन चालक को नींद की झपकी आने से हुए माने गये हैं।
यह आँकड़े सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत यमुना एक्सप्रेस-वे ऑथिरिटी से माँगी गई सूचना से प्राप्त हुए हैं। 26 मार्च 2024 को आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को ऑथरिटी की ओर से सूचनाएं उपलब्ध कराई गई थीं, जिसमें वर्ष 2012 से 2023 तक हुए हादसों की वजह वाहन चालकों को नींद की झपकी आना सबसे अधिक माना गया है, जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं कि वर्ष 2023 में 2022 की अपेक्षा 100 हादसे अधिक हुए हैं। वर्ष 2022 में एक्सप्रेस-वे पर हुई दुर्घटनाओ की सँख्या 311 है, जबकि 2023 में एक्सीडेंट की सँख्या 411 रही, जिसमें 725 लोग घायल हुए और वर्ष 2022 की आंकड़ो पर नजर डालें तो 621 लोग विभिन्न हादसों में घायल हुए थे।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर वर्ष 2021 से लेकर वर्ष 2023 तक घटित हुई दुर्घटनाओं के आंकड़ो पर नज़र डालें तो 7625 हादसे हुए। जिसमें 3364 हादसे वाहन चालक को नीद की झपकी आना माना गया है। तेज़ रफ़्तार के कारण 1304 हादसे हुए बताए गये हैं। इन सभी हादसों में 1320 लोगों की जाने गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक़ 522 लोगों की हादसे में हुई मौत वाहन चालक को झपकी लगने से होना पाया गया है। इसके अलावा 11160 लोग विभिन्न हादसों में घायल भी हुए हैं, जिसमें भी झपकी लगने से घायलों की सँख्या 4181 है और 1819 ओवर स्पीड से हुए हादसों में घायलों की सँख्या बताई गई है।
यमुना एक्सप्रेस-वे ऑथरिटी की ओर से एक्सप्रेस-वे पर हादसों को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये गये। ओवर स्पीड के लिये चालान का प्रावधान किया गया। फिर भी हादसे घटने की बजाय साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। यह आंकड़े वर्ष 2023 तक के हैं। जबकि 2024 में भी यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसों की सँख्या बढ़ी है और यही हाल रहा तो आँकड़े कम होने की बजाय बढ़ते जाएंगे, इससे बेहतर यही होगा कि इन हादसों को रोकने के लिये सड़क सुरक्षा नीति के तहत प्रशासनिक अफसरों को काम करने की आवश्यकता है।