- जीएलए विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों का मन मोहा
मथुरा : नन्हे हाथ-पैर, चेहरे पर मुस्कान, अंदर छुपी प्रतिभा, भारतीय संस्कृति परिधान पहने हुए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में आयोजित प्रतिभा मंच 2.0 में रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक बिखेरी कि समूचा हॉल मंत्रमुग्ध हो गया और तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा।
जीएलए विश्वविद्यालय ने गोद लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द प्रथम, प्राथमिक विद्यालय आझई खुर्द द्वितीय, प्राथमिक विद्यालय आझई कलां, उच्च प्राथमिक विद्यालय जैंत प्रथम के बच्चों के लिए प्रतिभा मंच 2.0 का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, सीएसईडी के सहनिदेशक पुष्कर शर्मा, तपेश भारद्वाज विद्यालयों से आये प्रधानाध्यापक अनामिका सक्सेना, अनीता राठौर, अनुपमा कौशिक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
तत्पश्चात छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना की बेहतर प्रस्तुति दी गई। इसके बाद रैंप पर भारतीय संस्कृति की ऐसी झलक देखने को मिली कि दर्शकों की टकटकी निगाह सीधे मंच पर ही जमी रही। बच्चों ने देश के विभिन्न प्रदेशों के नृत्य के माध्यम से न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि देश की विविध सांस्कृतिक विरासत की झांकी के माध्यम से देश की अखण्डता एवं एकता का सुंदर परिचय दिया।
कार्यक्रम में स्वागत डांस, पंजाबी नृत्य की प्रस्तुति, राजस्थानी नृत्य, कोलकाता नृत्य, कश्मीरी नृत्य, हरियाणवी नृत्य, ब्रज कला नृत्य, गुजराती नृत्य जैसे कई नृत्यों की प्रस्तुति में बच्चों ने अपनी प्रतिभा का जमकर प्रदर्शन किया। प्रत्येक नृत्य में जितने भी बच्चे शामिल थे, सभी की कला एक साथ देखने को मिली। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की प्रस्तुति को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था कि यह बच्चे परिषदीय विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं था।
प्रतिभा मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि जिन बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, वह वाकई सराहना के पात्र है। सबसे बड़ी बात यह है कि जीएलए ने सिर्फ एक मंच प्रदान किया। प्रो. गुप्ता ने परिषदीय विद्यालयों के प्राचार्यों से आग्रह किया जितने भी बच्चे अध्ययनरत हैं उन सभी में कोई न कोई प्रतिभा होनी चाहिए। चाहे वह प्रतिभा खेल, डिबेट, भाषण और कला की ही क्यों न हो। यही प्रतिभाएं बच्चों का चरित्र का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि यही प्रथम 5 वर्ष तक की उम्र ऐसी होती जिसमें 85 प्रतिशत तक बच्चे सीख जाते हैं। ऐसा ही आदर्श सभी बच्चों को मिलना चाहिए, जिससे वह आगे बढ़ने में कामयाब हों। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय प्रयासरत है।
स्कूल प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर राहुल अरोडा ने बताया कि जीएलए द्वारा गोद लिए परिषदीय विद्यालयों के 300 के करीब बच्चे प्रतिभा मंच 2.0 कार्यक्रम के सहभागी बने। उन्हांने बताया कि जीएलए विश्वविद्यालय का प्रयास है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनकी प्रतिभा को निखारने का मंच समय-समय पर मिले यह हमेशां प्रयास रहता है।
कार्यक्रम का संचालन एकता और अक्षरा ने किया। इस अवसर पर आईटी विभाग के एसोसिएट निदेशक डा. अंशी सिंह, सीएसईडी मैनेजर दीपांश गोयल, स्कूल स्वयंसेवक पूनम, सरिता, चंदन, उमा, पूजा, विपिन, नेहा, बवीता, आरती आदि उपस्थित रहे।