विजय गुप्ता की कलम से
मथुरा। जब बंगलादेश बना था तब एक भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की थी कि जो बंगलादेश आज हिंदुस्तान के गुणगान करते नहीं थक रहा आगे चलकर यही बंगलादेश हिंदुस्तान और हिंदुओं का घोर दुश्मन बन जाएगा। यह भविष्यवाणी उस समय अखबारों की सुर्खी बनी थी। कहने का मतलब है कि इन अहसान फरामोशों की नस्ल ही ऐसी है कि जो कोई इनके लिए मरता पचता है, आगे चलकर ये उसी के दुश्मन बन जाते हैं।
बंगलादेश जो पहले पूर्वी बंगाल था तथा बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान बन गया, में पाकिस्तानी सेना ने जो जुल्म किये उन्हें तो ये भूल गए और हिंदुस्तान ने इनकी रक्षा की तथा अलग मुल्क का दर्जा दिलाया उसी के अब कट्टर दुश्मन बन गये तथा पाकिस्तान के साथ सुर और ताल मिला रहे हैं। उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने लाखों बंगाली मुसलमानों का कत्लेआम कर डाला। हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। उस समय भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया था।
गुरु गोविंद सिंह जी जिनके पुत्रों को मुस्लिम आक्रांताओं ने सिर्फ इसलिए दीवाल में जिंदा चिनवा दिया कि गुरु गोविंद सिंह जी ने मुसलमान धर्म अपनाना स्वीकार नहीं किया। उस समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था कि पहले अपने पूरे हाथ को तेल के बर्तन में डुबो दो और फिर उसी हाथ को तिलों से भरे बोरे में ठूंस दो, जितने तिल उस हाथ पर चिपक जाएं अगर उतनी बार भी ये कसम खाकर किसी बात का भरोसा दिलाएं तब भी इनके ऊपर विश्वास मत करना।
पिछले वर्ष दिल्ली में एक हिंदू युवक ने अपने मुसलमान पड़ौसी की हालत गंभीर होने पर उसे अपना खून देकर जान बचाई किंतु कुछ दिनों बाद जब मुस्लिम युवक भला चंगा हो गया और किसी बात पर उसी हिंदू युवक से उसकी कहा सुनी हो गई तो मुस्लिम युवक ने आव देख न ताव तुरंत चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी। यह समाचार पूरे देश के समाचार पत्रों व टी.वी. चैनलों की सुर्खी बना था।
याद करो इतिहास की उस घटना को जब पृथ्वीराज चौहान ने हमलावर मुहम्मद गौरी को सत्रह बार युद्ध में पराजित किया और हर बार उसे क्षमादान देकर छोड़ दिया किंतु उसी मुहम्मद गौरी ने अठारहवीं वार के हमले में पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया और सजाऐ मौत दे दी। अठारहवीं बार भी मुहम्मद गौरी को पराजय मिलती किंतु जयचंद ने गद्दारी की और मुहम्मद गौरी से मिल अपने ही राजा को हरवा कर मरवा दिया। फिर तो जयचंद नाम इतना घृणित हो गया कि इस घटना के बाद किसी ने भी अपनी संतान का नाम जयचंद नहीं रखा। भले ही नाम नहीं रखा गया हो किंतु जयचंद तो आज भी हमारे देश में मौजूद हैं, जो अपने देश में मौजूद उन आस्तीन के सांपों, जो नमक हिंदुस्तान का खाते हैं और गीत पाकिस्तान के गाते हैं, को अपना माई बाप मानते हुए उन्हीं की वकालत कर अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी कर रहे हैं। यह सब सिर्फ और सिर्फ वोटों की खातिर हो रहा है। इस बात को सभी जानते हैं किंतु तथा कथित लोकतंत्र के नाम पर बेबस होकर चुप रह जाते हैं।
एक बात और साफ कर देना चाहता हूं कि मुसलमानों में 100% लोग देश के लिए बेवफा नहीं है। कुछ ऐसे भी हैं जो देश के वफादार हैं। अब्दुल हमीद का नाम कौन नहीं जानता जिसने कलेजे से हथगोला बांधकर पाकिस्तानी टैंक को उड़ा दिया। भले ही अपनी जान गंवानी पड़ी किंतु मर कर भी अमर हो गए। हिंदुओं में भी एक से बढ़कर एक गद्दार मौजूद हैं जिनमें कुछ राजनेता गद्दारों वाली पंक्ति में आगे खड़े नजर आते हैं क्योंकि उन्हें तो मछली की आंख की तरह केवल वोट और उनसे मिलने वाली सत्ता ही दिखाई देती है। इन लोगों की फितरत यह है कि मुसलमानों को अगर चींटी भी काटती है तो उस पर हाय तौबा मचा देते हैं। पर अब बंगलादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर उनकी जीभ तालू से चिपक गई है।
अंत में सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि यदि हम लोग अभी भी नहीं चेते तो ऐसा न हो कि तीसरी बार सैकड़ो वर्षों के लिए फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ जांय। पहले मुगलों की फिर अंग्रेजों और तीसरा नंबर कहीं चीनियों का न आ जाय। आज चीन पूरे विश्व पर हावी क्यों है? जवाब एकदम साफ है कि वहां देशद्रोहियों को तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है और हमारे यहां देशद्रोहियों को अपना माई बाप माना जाता है। हमें चीन से शिक्षा लेनी चाहिए।
मतलब की सीधी और साफ बात यह है कि चीन में वोटतंत्री नौटंकी नहीं है। लोकतंत्र के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या अलोकतंत्र हो रहा है यह सब बताने की जरूरत नहीं है। सब कुछ साफ है। सौ की सीधी बात है कि इस तथा कथित लोकतंत्र यानी वोटतंत्र ने पूरे देश को कोढ़ी जैसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। उदाहरण के रूप में तथा कथित लोकतंत्री प्रक्रिया के तहत चुने गए लोग संसद और विधानसभा में कैसे-कैसे नंग नाच कर रहे हैं? चुल्लू भर पानीं में डूब मरना चाहिए हम लोगों को जो आंखों पर पट्टी बांधकर सब कुछ सहन कर रहे हैं।