मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में उनके जन्मदिवस के अवसर पर 19 दिसंबर से 24 दिसंबर तक ‘अटलजी एवं सुशासन सप्ताह’ मनाया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय में संभाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता एवं कविता प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें सभी विद्यार्थियों ने बढ़चढ़कर भाग लिया।
प्रतियोगिताओं से पूर्व एक कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने अटलजी को याद करते हुए कहा कि वे ऐसे नेता थे जिनको सभी बहुत सम्मान देते थे और इसका कारण था उनकी सबसे आत्मीयता। वे सिद्धांतों पर चलने वाले वाले देश को समर्पित राजनेता थे। जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। वे राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि वर्षों तक बनी रही एवं विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।
विवि की सीईओ डा. मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। अटलजी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वे लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।
विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक डा. रजनीश त्यागी ने कहा कि वाजपेयीजी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आये जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंत किया, में भाग लिया। वाजपेयीजी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले भारती जन संघ के नाम से जाना जाता था जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कई कवितायेँ भी लिखी जिसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया। अब भी वह राजनीतिक मामलों से समय निकालकर संगीत सुनने और खाना बनाने जैसे अपने शौक पूरे करते हैं।
वहीं संभाषण प्रतियोगिता में स्कूल आफ फार्मेसी की छात्रा दुर्गेश कुमार बागरी ने प्रथम, खुशबू खान ने द्वितीय, निबंध प्रतियोगिता में स्कूल आफ एजूकेशन के छात्र कार्तिकेय पालीवाल ने प्रथम और छात्रा आर्ची ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। कविता प्रतियोगिता में डिप्लोमा इंजीनियरिंग के छात्र प्रिंस राज कौशिक एवं बीसीए के छात्र विनीत पचौरी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इन सभी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता की संयोजिका थीं असिस्टेंट प्रो. डा. नेहा पाठक।
संस्कृति विवि में मनाया गया ‘अटलजी एवं सुशासन सप्ताह’
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