- प्रसार भारती की अदूरदर्शिता नंबर बढ़ाने के चक्कर में गिरा रहे आकाशवाणी की साख
- रिले केन्द्र बनाने से विशेषज्ञ वार्ताकार कंपेयर एनाउंसर होंगे प्रभावित
- सुबह की सभा बंद करने की तैयारी
मथुरा। आकाशवाणी बचाओ का कोहराम आखिर क्यों मचा है। इसके पीछे कयी कारण हैं। प्रसार भारती के आला अफसरों की गलत नीतियां ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। देश के करीब एक सैकड़ा केन्द्रों पर कार्यक्रम निर्माण का कार्य कैजुअल एनाउंसर -कंपेयर ही कर रहे हैं। प्रसार भरती तीन दशक बाद भी इन्हें किसी तरह का कर्मचारी नहीं मानती। अब इन्हें एसायनी बना दिया है। प्रबुद्ध तबके का काम और पारिश्रमिक भी कयी-कयी माह बाद दिया जाने लगा है। अब इस अभियान को मेल भरो आन्दोलन बनाया
उल्लेखनीय है कि प्रसार भारती की गलत नीतियां आकाशवाणी के अस्तित्व को खतरे में डाल रही हैं। छोटे -छोटे सैटअप से लोगों ने करोड़ों में पहुंच और संचालन हेतु धन का इंतजाम किया हुआ है वहीं मोटी तनख्वाह के मातहतों ने केन्द्रों को सफेद हाथी बना दिया है। प्रसार भारती के अफसर अब आकाशवाणी केन्द्रों की प्रातः कालीन सभा को रिले करने की तैयारी कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के सभी केन्द्र अध्यक्षों की मीटिंग 30 दिसंबर को लखनऊ में हो चुकी है। अफसर सुबह की सभा को लखनऊ – दिल्ली से प्रसारित (रिले)करने की तैयारी कर चुके हैं। इंजीनियरिंग स्टाफ जरूरत से ज्यादा होने के बाद भी रेडियो कार्यक्रम प्रसार भारती के ऐप पर कमी बार नहीं चलता और लोग सोए रहते हैं। सुबह की सभा रिले होने से केन्द्र के कुछ एसायनी कंपेयर व एनाउंसर की ड्यूटी कटेंगी वहीं परमानेंट प्रोग्राम सेक्शन के स्टाफ को आफिस समय से आने का झंझट नहीं रहेगा।
उत्तर प्रदेश के केन्द्रों को रिले केन्द्र बनाने के पीछे स्टाफ की कमी और हर केंद्र से चलने वाले फिल्म संगीत की रायल्टी की करीब 18 करोड़ की धनराशि बचाने का तर्क दिया जा रहा। सरकार के लिए इस धन की बचत बहुत बड़ी चीज नहीं लेकिन रेडियो से हर राज्य के विभिन्न क्षैत्रीय भाषा- शैली, लोक संस्कृति के संरक्षण का क्या होगा। लोक विधाओं का क्या होगा। छोटे छोटे इलाकों से अन्तर्राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने का जज्बा क्षेत्रीय कलाकरों में कौनसा केन्द्र पैदा करेगा। यह कमी सवाल मुंह बाये खड़े हैं।
आकाशवाणी मथुरा के कैजुअल कंपेयर व एनाउंसर ने नववर्ष के पहले दिन तीन माह के बाकी भुगतान को तीन दिन में कराने की मुहिम छेड़ी। कमी केन्द्रों के ऊपर बनाये आगरा क्लस्टर हैड मयंक अग्रवाल को व्हाट्सअप मैसेज किए। यही मैसेज दर्जनों की तादाद में आईएनबी मिनिस्ट्री सचिव को मेल किए। गुरुवार को आगरा क्लस्टर हेड ने मथुरा केन्द्र का निरीक्षण किया।
विदित होकि पूर्व में अनुराग ठाकुर आकाशवाणी के कैजुअल कंपेयर व एनाउंसर के नियमितीकरण की बात सालों पूर्व लोकसभा में एक प्रश्न के जबाब में कह चुके हैं लेकिन प्रसार भारती 95 फीसदी कार्यक्रम निर्माण का काम कर रहे कैजुअल एनाउंसर -कंपेयर के हकौं पर ताबड़तोड़ डाका डाल रही है। अब उक्त लोग मिनिस्टर को मेल भेजो आन्दोलन की तैयारी कर रहे हैं। आगामी एक हफ्ते में देशभर से तीन से चार हजार मेल भेजे जाएंगे। विभिन्न केन्द्रों की यूनियनों से संपर्क किया जा रहा है। श्रोता, कलाकार और समाज के प्रबुद्ध तबके को भी आकाशवाणी बचाओ अभियान में जोड़ा जा रहा है। इस अभियान में जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रबुद्धजन भी जुड़ रहे हैं। अभियान में संजय सारस्वत,मनीष श्रीवास्तव, दिलीप कुमार यादव, देवराज दीक्षित, ब्रज भूषण चतुर्वेदी, अंशुल शर्मा, पुष्पेंद्र एडवोकेट, विनोद चतुर्वेदी, अनुराग पाण्डेय, जितेन्द्र, मृणालिनी दीक्षित, उषा पाण्डेय, रश्मी शर्मा, दुर्गेश, खूशबू, दीपिका शर्मा, ममता रानी सहित करीब 50 लोग सतत संघर्षरत हैं।