विजय गुप्ता की कलम से
मथुरा। शंकर लाल खंडेलवाल लालों के भी लाल थे। भले ही उनको गौलोक वासी हुए अरसा हो चुका है किंतु उनके सद्कर्म आज भी उन्हें जीवित रखे हुए हैं।
शंकर मिठाई वालों के नाम से प्रसिद्ध शंकर लाल जी बड़े ही विनम्र स्वभाव के थे। चहरे पर तेज और सौम्यता देखते ही बनती थी। ऊपर से अच्छा खासा डील डौल सौने में सुगंध का काम करता था।
इस सबसे हटकर खास बात यह कि वे न सिर्फ अति धार्मिक और पूजा पाठी थे बल्कि सेवा भावी भी थे। गरीबों पर तो वे बेहद मेहरबान रहते थे। सर्दियों में अलाव जलवाना चाय का लंगर चलाना उनका शौक था। इसी प्रकार गर्मियों में शीतल पानी की प्याऊ चलती थी। गायों को हरा चारा खिलवाया जाता।
इस सबसे अलग एक बात और वह यह कि अपनी मिठाई की दुकान में जो भी मिठाई बच जाती उसे मुफ्त में गरीबों को बटवा देते। वे भोले बाबा के अनन्य भक्त थे। प्रतिदिन रंगेश्वर महादेव की पूजा अर्चना किए बगैर कुछ भी ग्रहण नहीं करते। कोई भी असहाय जरूरतमंद उनके पास आ जाता वह खाली हाथ नहीं लौटता। अनगिनत गरीब कन्याओं की शादी कराने का सौभाग्य उनको मिला। इन सब बातों से भी ऊपर उठकर एक बात यह कि वे कभी अपनी इन सेवाओं का प्रसार प्रचार नहीं करते थे। उनकी इन महानताओं के कारण लोग उन्हें श्रद्धा और सम्मान की नजरों से देखते। अच्छी बात यह है कि शंकर लाल जी की परमार्थ वाली इन परंपराओं को उनके पुत्र गिरधारी लाल व अन्य भाई बखूबी निभा रहे हैं।
शंकर लाल जी व उनके परिवारीजन समाज के लिए मिसाल हैं। आज के इस दूषित वातावरण में ऐसे परमार्थी लोग कलयुग में भी सतयुग का आभास कराते हैं। हम लोगों को शंकर लाल जी जैसे दुर्लभ व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर चौरासी लाख योनियों के बाद मिले इस मनुष्य जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।