Sunday, February 2, 2025
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गीता शोध संस्थान की संगोष्ठी में ‘ब्रज में श्रीराम’ पर मंथन

  • राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजन

वृंदावन। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संचालित गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन में अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा की एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष में “ब्रज में श्री राम” विषय पर एक विद्वत संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में वृंदावन एवं मथुरा से अनेक विद्वतजनों ने भाग लिया। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
अकादमी के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना ने बताया कि श्री राम का ब्रज से बहुत ही गहरा संबंध है। ब्रज में रासलीला के साथ रामलीला का विशेष स्थान है। ब्रज में अनेक रामलीला मंडली हैं जो पूरे वर्ष संपूर्ण भारत में विभिन्न स्थानों पर अपनी गहरी छाप बनाए हुए हैं। शीघ्र ही अकादमी तुलसीदास जी रचित विनय पत्रिका विषय पर मंचन करने हेतु दृढ़ संकल्पित हैं।
ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि श्री राम के भाई शत्रुघ्न द्वारा मधु के पुत्र पापात्मा लवणासुर का संघार कर मधुपुरी की स्थापना की। उन्होंने बताया 1000 वर्ष की अवधि के बाद जिस प्रकार नदियां अपना स्थान बदल देती हैं उसी प्रकार नगर भी अपना मूल स्थान छोड़ देते हैं । मथुरा भी पूर्व में मधुपुरी के नाम से महोली स्थान पर विद्यमान था। उन्होंने बताया कि श्री राम ने ब्रज के सनाढ्य ब्राह्मणों को 56 गांव दिए।
गोपाल शरण शर्मा ने ब्रजभूमि में राम पर चर्चा पर बताया कि श्री राम सर्वत्र हैं। तुलसीदास जी वृंदावन में आए थे नाभादास जी से मिले थे। तुलसीदास जी की मनोकामना पर श्री राम ने उन्हें दर्शन दिए। वृंदावन की सुप्रसिद्ध रामलीला का इतिहास 200 वर्ष पुराना है रंग जी का कटरा, बिहारी जी, कलाधारी, सुदामा कुटी, राधावल्लभ घेरा आदि रामलीला स्रोत के प्रमुख स्थान हैं।
साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय ब्रज पुरोहित ने कहा राम शब्द प्रत्येक कण कण में और प्रत्येक आत्मा में रमण करता है । आज सर्वत्र श्री राम और श्री कृष्णा में कोई अंतर नहीं माना जाता दोनों एक ही हैं।
वृंदावन शोध संस्थान के निदेशक डॉ राजीव द्विवेदी ने बताया कि पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर श्री राम जन्मभूमि को न्याय दिलाने में अपनी भूमिका से वह स्वयं को धन्य मानते हैं। पुरातात्विक विभाग के द्वारा विभिन्न स्थानों पर श्री राम, नंद बाबा, यशोदा मैया, शेषशाई विष्णु भगवान की मूर्तियां विभिन्न स्थानों पर मिली हैं।
मथुरा श्री महेश पांडेय ने बृज और राम को अध्यात्मिक विषय बताया । मथुरा में रामदास की मंडी, रामघाट तुलसी पीठ, सभी प्रमाणिक स्थान हैं। मथुरा में पूर्व में 48 मंडललियां थीः। संपूर्ण भारत में रामलीला का प्रचार करने में मथुरा का स्थान सर्वोपरि है। उन्होंने कहा हमें तीर्थ के प्रति जागरूक रहना चाहिए कहीं ऐसा न हो कि कॉरिडोर बनते चले जाएं और हमारा तीर्थ मर जाए। मानसिक प्रदूषण को रोकना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के संगीत प्रशिक्षकों द्वारा श्री राम की स्तुति का गायन किया। गीता मर्मज्ञ श्री महेश शर्मा ने श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक द्वारा प्रमाणित किया कि श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि मैं राम हूं। उन्होंने कहा हमें अपने शास्त्रों पर ध्यान देना चाहिए। बज के लोकगीतों में राम आज भी जीवंत हैं।
किशोरी रमण कॉलेज मथुरा के संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ रादत्त मिश्रा ने कहा कि श्री राम के बिना भारत में उच्च आदर्श होना संभव नहीं है । ब्रज संस्कृति में राम उपस्थित हैं उन्होंने कहा श्री राम कृष्ण दोनों एक हैं।
शिक्षाविद डा ज्योत्सना शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिसके अंदर राम नहीं है वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं।
शिक्षिका डॉ संध्या मिश्रा ने मधुर गायन के द्वारा अपनी भावना व्यक्त की और ह जताया कि आज हमारे राम टेंट को छोड़कर एक भव्य मंदिर में विराजमान हैं।
पूर्व प्राचार्य डॉ विनोद बनर्जी ने बताया कि श्री राम तो रोम रोम में है संपूर्ण ब्रज में श्री राम का विशेष स्थान है।
डॉ के के शर्मा ने कहा कि वह रासलीला एवं रामलीला को यूनेस्को से जोड़ने का प्रयास पिछले कुछ वर्षों से कर रहे हैं। अब तक वह यूनेस्को, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री सभी के साथ मेरा पत्राचार चल रहा है। अभी तक लगभग 20 पत्र लिखे जा चुके हैं।
संगोष्ठी का संचालन अकादमी के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने किया और सभी विद्वानों का आभार व्यक्त किया । जगदीश पथसारिया, घनश्याम भारद्वाज आकाश शर्मा मनमोहन कौशिक, सुनील पाठक, दीपक शर्मा आदि का सहयोग रहा।

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