Thursday, February 20, 2025
Homeविजय गुप्ता की कलम सेसाधु और बिच्छू की कहानी

साधु और बिच्छू की कहानी

विजय गुप्ता की कलम से

     मथुरा। साधु और बिच्छू की वह कहानी तो सभी ने सुन रखी होगी, जिसमें साधु डंक मारने वाले बिच्छू की रक्षा करता है। कुछ इसी प्रकार की एक कहानी जो मुझसे जुड़ी हुई है आपको बताता हूं।
     बात बहुत पुरानी है उस समय में पत्रकारिता के क्षेत्र में  नौसिखिया था। अपने पराये और भले बुरे का ज्ञान तो था नहीं, जो जैसे बहका देता बहक जाता है जो जैसे उकसा देता उकस जाता यानी अपनी गांठ की बुद्धि का इस्तेमाल करने की जरूरत भी नहीं समझता।
     एक दिन की बात है एक महान?व्यक्ति ने मुझे श्रद्धेय देशभक्त वाजपेई जी जो उस समय वरिष्ठ पत्रकार होने के अलावा अमरनाथ विद्या आश्रम के प्रधानाचार्य भी थे, के खिलाफ मुझे उकसाया उनके उकसावे के बाद मैंने कहा कि ठीक है, जब कभी मौका मिलेगा तो देशभक्त जी और अमरनाथ दोनों की अच्छी खासी खबर ले डालूंगा।
     पर उन महान विभूति? ने कहा कि “जब कभी मौका मिलेगा इसका क्या मतलब? आज ही क्यों नहीं, और अभी क्यों नहीं? चूंकि उन महापुरुष? से मेरी उस समय खूब अच्छी घुटती थी इसी वजह से मैंने आव देखा न ताव तुरंत अपने फोटोग्राफर को स्कूटर पर बैठाया और जा पहुंचा अमरनाथ विद्या आश्रम तथा मेन गेट का फोटो कराया और अगले दिन ही “आज” अखबार में फोटो के साथ लंबी चौड़ी खबर जिसमें वेवजह खूब नमक मिर्च डाला हुआ था छाप मारी।
     इस खबर के बाद शहर में हड़कंप सा मच गया क्योंकि उस समय आज अखबार का डंका बजता था। सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह कि न तो देशभक्त जी ने मुझे कोई उलाहना दिया और जब कभी आमने-सामने मिलने पर वही सौहार्दपूर्ण तरीके से व्यवहार किया।
     बात आई गई हो गई। समय ने पलटा खाया और जिन महान विभूति? ने मुझे उकसाया वे मेरी छोटी सी मजाक से ऐसे आग बबूला हो गए कि पूंछो मत। बात दिनों दिन बढ़ती चली गई और वह मेरे खून के ऐसे प्यास हुए कि उचित अनुचित कोई भी हथकंडा अपनाने से पीछे नहीं हटे। सब लोग जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को।
     मजेदार बात तो यह है कि जो महान विभूति? मेरे खून के प्यासे तक हो गए थे के लिए मैं इतना किया कि शायद उनके घर वालों तक ने नहीं किया होगा। हर संकट में परछाईं की तरह उनके साथ रहा। खैर इस बात को और लंबा खींचने से कोई फायदा नहीं क्योंकि आगे चलकर मैंने भी कोई कसर बाकी नहीं रखी उनके कपड़े फाड़ने में। यहां तक कि लंगोटी भी नहीं छोड़ी अर्थात हिसाब किताब चुकता करके ही माना।
     मैं तो प्रसंग से भी भटके जा रहा हूं। अब आता हूं असली मुद्दे पर। जिन देशभक्त जी को मुझ बिच्छू ने डंक मारा था उन्होंने ही कदम-कदम पर मेरी रक्षा की और हर संकट में मेरे कवच बने। जबकि वे उन दिनों पावर में थे यदि मन में खुन्नस मानते तो मेरा किसी न किसी प्रकार अनिष्ट भी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने बदी का बदला नेकी में दिया। धन्य हैं देशभक्त जी और धिक्कार है विजय गुप्ता को।
     मैं देशभक्त जी के इस दुर्लभ संत्तव के प्रति नत मस्तक हूं और ताजिंदगी उनके एहसान को नहीं भूलूंगा। देशभक्ति की गिरिराज जी के परम भक्त हैं इस समय उनकी उम्र 85 वर्ष है। कुछ वर्षों पूर्व तक वे अक्सर गिर्राज जी की सपत्नीक दंडवती परिक्रमा भी करते रहते थे उसके बाद पैदल। अब तो पैदल भी नहीं कर पाते तथा कुछ समय पूर्व बैटरी रिक्शा से परिक्रमा करते हुए मंडलायुक्त श्री शैलेंद्र कुमार सिंह ने देखा था। इस समय देशभक्त जी बहुत अस्वस्थ हैं। गिर्राज महाराज ऐसी कृपा करें कि वे पूर्ण स्वस्थ होकर फिर से परिक्रमा लगना शुरू कर दें। जय गिर्राज बाबा की।
देशभक्त जी के संपर्क नंबर 9412279199
9149256570

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments